Tuesday, 13 November 2012

सेक्स में कैसे आती है उत्तेजना


पेनिस (लिंग) में इरेक्शन विचार से होता है, स्पर्श से होता है। दिमाग में एक सेक्स सेंटर है। जब वह उत्तेजित होता है तो संदेश लिंग की तरफ जाता है। बदन में खून का प्रवाह तेज हो जाता है। पूरे शरीर में पेनिस में खून का प्रवाह सबसे ज्यादा तेज होता है। इसी वजह से लिंग में उत्तेजना ओर स्त्रियों की योनि में गीलापन आता है। पेनिस के इरेक्शन के लिए योग्य हॉर्मोन का होना जरूरी है। पुरुषों में 60 साल के बाद और महिलाओं में 45 साल के बाद हॉर्मोन की कमी होने लगती है।



इरेक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है: सेक्स के दौरान या उससे पहले पेनिस में इरेक्शन (तनाव) के खत्म हो जाने को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या नपुंसकता कहते हैं। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कई तरह का हो सकता है। हो सकता है, कुछ लोगों को बिल्कुल भी इरेक्शन न हो, कुछ लोगों को सेक्स के बारे में सोचने पर इरेक्शन हो जाता है, लेकिन जब सेक्स करने की बारी आती है, तो पेनिस में ढीलापन आ जाता है। इसी तरह कुछ लोगों में पेनिस वैजाइना के अंदर डालने के बाद भी इरेक्शन की कमी हो सकती है। इसके अलावा, घर्षण के दौरान भी अगर किसी का इरेक्शन कम हो जाता है, तो भी यह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की निशानी है।

इरेक्शन सेक्स पूरा हो जाने के बाद यानी इजैकुलेशन के बाद खत्म होना चाहिए। कई बार लोगों को वहम भी हो जाता है कि कहीं उन्हें इरेक्टाइल डिस्फंक्शन तो नहीं। सीधी सी बात है कि आप जिस काम को करने की कोशिश कर रहे हैं, वह काम अगर संतुष्टिपूर्ण तरीके से कर पाते हैं तो सब ठीक है और नहीं कर पा रहे हैं तो समस्या हो सकती है। जिन लोगों में यह दिक्कत पाई जाती है, वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उनका कॉन्फिडेंस लेवल भी कम हो सकता है। वजह: इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी। अगर किसी खास समय इरेक्शन होता है और सेक्स के समय नहीं होता, तो इसका मतलब यह समझना चाहिए कि समस्या मानसिक स्तर की है। खास समय इरेक्शन होने से मतलब है- सुबह सोकर उठने पर, पेशाब करते वक्त, मास्टरबेशन के दौरान या सेक्स के बारे में सोचने पर। अगर इन स्थितियों में भी इरेक्शन नहीं होता तो समझना चाहिए कि समस्या शारीरिक स्तर पर है। अगर समस्या मानसिक स्तर पर है तो साइकोथेरपी और डॉक्टरों द्वारा बताई गई कुछ सलाहों से समस्या सुलझ जाती है।


- शारीरिक वजह ये चार हो सकती हैं : चार छोटे एस (S) बड़े एस यानी सेक्स को प्रभावित करते हैं। ये हैं : शराब, स्मोकिंग, शुगर और स्ट्रेस।
- हॉर्मोंस डिस्ऑर्डर्स इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की एक खास वजह है।
- पेनिस के सख्त होने की वजह उसमें खून का बहाव होता है। जब कभी पेनिस में खून के बहाव में कमी आती है तो उसमें पूरी सख्ती नहीं आ पाती और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। कुछ लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि शुरू में तो पेनिस के अंदर ब्लड का फ्लो पूरा हो जाता है, लेकिन वैजाइना में एंटर करते वक्त ब्लड का यह फ्लो वापस लौटने लगता है और पेनिस की सख्ती कम होने लगती है।
- नर्वस सिस्टम में आई किसी कमी के चलते भी यह समस्या हो सकती है। यानी न्यूरॉलजी से जुड़ी समस्याएं भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह हो सकती हैं।
- हमारे दिमाग में सेक्स संबंधी बातों के लिए एक खास केंद्र होता है। इसी केंद्र की वजह से सेक्स संबंधी इच्छाएं नियंत्रित होती हैं और इंसान सेक्स कर पाता है। इस सेंटर में अगर कोई डिस्ऑर्डर है, तो भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो सकता है।
- कई बार लोगों के मन में सेक्स करने से पहले ही यह शक होता है कि कहीं वे ठीक तरह से सेक्स कर भी पाएंगे या नहीं। कहीं पेनिस धोखा न दे जाए। मन में ऐसी शंकाएं भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह बनती हैं। इसी डर की वजह से लॉन्ग-टर्म में व्यक्ति सेक्स से मन चुराने लगता है और उसकी इच्छा में कमी आने लगती है।
- डॉक्टरों का मानना है कि 80 फीसदी मामलों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक होती है, बाकी 20 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें इसके लिए मानसिक कारण जिम्मेदार होते हैं।
ट्रीटमेंट
पहले इस समस्या को आहार-विहार और कसरत करने से ठीक करने की कोशिश की जाती है, लेकिन जब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता तो कोई भी ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले डॉक्टर समस्या की असली वजह का पता लगाते हैं। इसके लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। वजह के अनुसार आमतौर पर इलाज के तरीके ये हैं:
1. हॉर्मोन थेरपी : अगर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह हॉर्मोन की कमी है तो हॉर्मोन थेरपी की मदद से इसे दो से तीन महीने के अंदर ठीक कर दिया जाता है। इस ट्रीटमेंट का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
2. ब्लड सप्लाई : जब कभी पेनिस में आर्टरीज की ब्लॉकेज की वजह से ब्लड सप्लाई में कमी आती है, तो दवाओं की मदद से इस ब्लॉकेज को खत्म किया जाता है। इससे पेनिस में ब्लड की सप्लाई बढ़ जाती है और उसमें तनाव आने लगता है।
3. सेक्स थेरपी : कई मामलों में समस्या शारीरिक न होकर दिमाग में होती है। ऐसे मामलों में सेक्स थेरपी की मदद से मरीज को सेक्स संबंधी विस्तृत जानकारी दी जाती है, जिससे वह अपने तरीकों में सुधार करके इस समस्या से बच सकता है।
4. वैक्यूम पंप, इंजेक्शन थेरपी और वायग्रा : वैक्यूम पंप, इंजेक्शन थेरपी और वायग्रा जैसे ड्रग्स की मदद से भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को दूर किया जा सकता है। वैसे कुछ डॉक्टरों का मानना है कि वैक्यूम पंप और इंजेक्शन थेरपी अब पुराने जमाने की बात हो चुकी हैं।
- वैक्यूम पंप : आजकल बाजार में कई तरह के वैक्यूम पंप मौजूद हैं। रोज अखबारों में इसके तमाम ऐड आते रहते हैं। इसकी मदद से बिना किसी साइड इफेक्ट के इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का हल निकाला जा सकता है। वैक्यूम पंप एक छोटा सा इंस्ट्रूमेंट होता है। इसकी मदद से पेनिस के चारों तरफ 100 एमएम (एचजी) से ज्यादा का वैक्यूम बनाया जाता है जिससे पेनिस में ब्लड का फ्लो बढ़ने लगता है, और तीन मिनट के अंदर उसमें पूरी सख्ती आ जाती है। लगभग 80 फीसदी लोगों को इससे फायदा हो जाता है। चूंकि इसमें कोई दवा नहीं दी जाती है, इसलिए इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। वैक्यूम पंप आमतौर पर उन लोगों के लिए है जो 50 की उम्र के आसपास पहुंच गए हैं। यंग लोगों को इसकी सलाह नहीं दी जाती है, फिर भी जो भी इसका इस्तेमाल करे, उसे डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
- वायग्रा : इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए वायग्रा का इस्तेमाल अच्छा ऑप्शन है, लेकिन इसका इस्तेमाल किसी भी सूरत में बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करना चाहिए। वायग्रा में मौजद तत्व उस केमिकल को ब्लॉक कर देते हैं, जो पेनिस में होने वाले ब्लड फ्लो को रोकने के लिए जिम्मेदार है। इससे पेनिस में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है और फिर इरेक्शन आ जाता है। वायग्रा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को ठीक करने में फायदेमंद तो साबित होती है, लेकिन यह महज एक टेंपररी तरीका है। इससे समस्या की वजह ठीक नहीं होती।
इनका असर गोली लेने के चार घंटे तक रहता है। वायग्रा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। कई मामलों में इसे लेने के चलते मौत भी हुई हैं। गोली लेने के 15 मिनट बाद असर शुरू हो जाता है।
अगर हाई और लो ब्लडप्रेशर, हार्ट डिजीज, लीवर से संबंधित रोग, ल्यूकेमिया या कोई एलर्जी है तो वायग्रा लेने से पहले विशेष सावधानी रखें और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही चलें।
- सर्जरी : जब ऊपर दिए गए तरीके फेल हो जाते हैं, तो अंतिम तरीके के रूप में पेनिस की सर्जरी की जाती है।
प्रीमैच्योर इजैकुलेशन
प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या शीघ्रपतन पुरुषों का सबसे कॉमन डिस्ऑर्डर है। सेक्स के लिए तैयार होते वक्त, फोरप्ले के दौरान या पेनिट्रेशन के तुरंत बाद अगर सीमेन बाहर आ जाता है, तो इसका मतलब प्रीमैच्योर इजैकुलेशन है। ऐसी हालत में पुरुष अपनी महिला पार्टनर को पूरी तरह संतुष्ट किए बिना ही फारिग हो जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पुरुष का अपने इजैकुलेशन पर कोई अधिकार नहीं होता। आदर्श स्थिति यह होती है कि जब पुरुष की इच्छा हो, तब वह इजैकुलेट करे, लेकिन प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की स्थिति में ऐसा नहीं होता।
- सेरोटोनिन जैसे न्यूरो ट्रांसमिटर्स की कमी से प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या हो सकती है।
- यूरेथेरा, प्रोस्टेट आदि में अगर कोई इंफेक्शन है, तो भी प्रीमैच्योर इजैकुलेशन हो सकता है।
- दिमाग में मौजूद सेक्स सेंटर एरिया में अगर कोई डिस्ऑर्डर है तो भी सीमेन का डिस्चार्ज तेजी से होता है।
- कुछ लोगों के पेनिस में उत्तेजना पैदा करने वाले न्यूरोट्रांसमिटर्स ज्यादा संख्या में होते हैं। इनकी वजह से ऐसे लोगों में टच करने के बाद उत्तेजना तेजी से आ जाती है और वे जल्दी क्लाइमैक्स पर पहुंच जाते हैं।
- कई बार एंग्जायटी, टेंशन और सीजोफ्रेनिया की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
दवाएं : प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की वजह को जानने के बाद उसके मुताबिक खाने की दवाएं दी जाती हैं। इनकी मदद से प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसमें करीब दो महीने का वक्त लगता है। इन दवाओं के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।
इंजेक्शन थेरपी: अगर खाने की दवाओं से काम नहीं चलता तो इंजेक्शन थेरपी दी जाती है। इनसे तीन मिनट के अंदर पेनिस हार्ड हो जाता है और यह हार्डनेस 30 मिनट तक बरकरार रहती है। इसकी मदद से कोई भी शख्स सही तरीके से सेक्स कर सकता है। ये इंजेक्शन कुछ दिनों तक दिए जाते हैं। इसके बाद खुद-ब-खुद उस शख्स का अपने इजैकुलेशन पर कंट्रोल होने लगता है और फिर इन इंजेक्शन को छोड़ा जा सकता है।
टोपिकल थेरपी : यह टेंपररी ट्रीटमेंट है। इसमें कुछ खास तरह की क्रीम का यूज किया जाता है। इन क्रीम की मदद से डिस्चार्ज का टाइम बढ़ जाता है। इनका भी कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
सेक्स थेरपी : दवाओं के साथ मरीज को कुछ एक्सरसाइज भी सिखाई जाती हैं। ये हैं :
स्टॉप स्टार्ट टेक्निक : पार्टनर की मदद से या मास्टरबेशन के माध्यम से उत्तेजित हो जाएं। जब आपको ऐसा लगे कि आप क्लाइमैक्स तक पहुंचने वाले हैं, तुरंत रुक जाएं। खुद को कंट्रोल करें और सुनिश्चित करें कि इजैकुलेशन न हो। लंबी गहरी सांस लें और कुछ पलों के लिए रिलैक्स करें। कुछ पलों बाद फिर से पेनिस को उत्तेजित करना शुरू कर दें। जब क्लाइमैक्स पर पहुंचने वाले हों, तभी रोक लें और रिलैक्स करें। इस तरह बार बार दोहराएं। कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि शुरू करने और स्टॉप करने के बीच का समय धीरे धीरे ज्यादा हो रहा है। इसका मतलब है कि आप पहले के मुकाबले ज्यादा समय तक टिक रहे हैं। लगातार प्रैक्टिस करने से इजैकुलेशन कब हो इस पर काबू पाया जा सकता है।
कीजल एक्सरसरइज : कीजल एक्सरसाइज न सिर्फ प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को कंट्रोल करने में सहायक है, बल्कि प्रोस्टेट से संबंधित समस्याएं भी इससे ठीक की जा सकती हैं। इसके लिए पेशाब करते वक्त स्क्वीज, होल्ड, रिलीज पैटर्न अपनाना होता है। यानी पेशाब का फ्लो शुरू होते ही मसल्स का स्क्वीज करें, कुछ पलों के लिए रुकें और फिर से रिलीज कर दें। इस दौरान इस प्रॉसेस का बार बार दोहराएं। इन सेक्स एक्सरसाइज की प्रैक्टिस अगर कोई शख्स चार हफ्ते तक लगातार कर लेता है तो उसके बाद वह 8 से 10 मिनट तक बिना इजैकुलेशन के इरेक्शन बरकरार रख सकता है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि काफी टाइम बाद सेक्स करने से भी व्यक्ति जल्दी स्खलित हो जाता है। ऐसे मामलों में इन एक्सरसाइजों को कर लिया जाए तो इस समस्या से भी निजात पाई जा सकती है।
मास्टरबेशन
सेक्स के दौरान पेनिस जो काम योनि में करता है, वही काम मास्टरबेशन के दौरान पेनिस मुट्ठी में करता है। मास्टरबेशन युवाओं का एक बेहद सामान्य व्यवहार है। जिन लोगों के पार्टनर नहीं हैं, उनके साथ-साथ मास्टरबेशन ऐसे लोगों में भी काफी कॉमन है, जिनका कोई सेक्सुअल पार्टनर है। जिन लोगों के सेक्सुअल पार्टनर नहीं हैं या जिनके पार्टनर्स की सेक्स में रुचि नहीं है, ऐसे लोग अपनी सेक्सुअल टेंशन को मास्टरबेशन की मदद से दूर कर सकते हैं। जो लोग प्रेग्नेंसी और एसटीडी के खतरों से बचना चाहते हैं, उनके लिए भी मास्टरबेशन उपयोगी है।
नॉर्मल: मास्टरबेशन बिल्कुल नॉर्मल है। सेक्स का सुख हासिल करने का यह बेहद सुरक्षित तरीका है और ताउम्र किया जा सकता है, लेकिन अगर यह रोजमर्रा की जिंदगी को ही प्रभावित करने लगे तो इसका सेहत और दिमाग दोनों पर गलत असर हो सकता है।
कुछ तथ्य
- सामान्य सेक्स के तीन तरीके होते हैं - पार्टनर के साथ सेक्स, मास्टरबेशन और नाइट फॉल। अगर पार्टनर से सेक्स कर रहे हें तो जाहिर है सीमेन बाहर आएगा। सेक्स नहीं करते, तो मास्टरबेशन के जरिये सीमेन बाहर आएगा। अगर कोई शख्स यह दोनों ही काम नहीं करता है तो उसका सीमेन नाइट फॉल के जरिये बाहर आएगा। सीमेन सातों दिन और चौबीसों घंटे बनता रहता है। सीमेन बनता रहता है, खाली होता रहता है।
- मास्टरबेशन करने से कोई शारीरिक या मानसिक कमजोरी नहीं आती।
- पेनिस में जितनी बार इरेक्शन होता है, उतनी बार मास्टरबेशन किया जा सकता है। इसकी कोई लिमिट नहीं है। हर किसी के लिए अलग-अलग दायरे हैं।
- इससे बाल गिरना, आंखों की कमजोरी, मुंहासे, वजन में कमी, नपुंसकता जैसी समस्याएं नहीं होतीं।
- सीमेन की क्वॉलिटी पर कोई असर नहीं होता। न तो सीमेन का कलर बदलता और न वह पतला होता है।
- इससे पेनिस के साइज पर भी कोई असर नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि मास्टरबेशन से पेनिस का टेढ़ापन, पतलापन, नसें दिखना जैसी समस्याएं हो जाती हैं, वे खुद भी भ्रम में हैं और दूसरों को भी भ्रमित कर रहे हैं।
- कुछ लोगों को लगता है कि मास्टरबेशन करने के तुरंत बाद उन्हें कुछ कमजोरी महसूस होती है, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। यह मन का वहम है।
- मास्टरबेशन एड्स और रेप जैसी स्थितियों को रोकने का अच्छा तरीका है।
- कामसूत्र या आयुर्वेद में कहीं यह नहीं लिखा है कि मास्टरबेशन बीमारी है।
- 13-14 साल की उम्र में लड़कों को इसकी जरूरत होने लगती है। कुछ लोग शादी के बाद भी सेक्स के साथ-साथ मास्टरबेशन करते रहते हैं। यह बिल्कुल नॉर्मल है।
मिथ्स क्या हैं
1. पेनिस का साइज छोटा है तो सेक्स में दिक्कत होगी। बड़ा पेनिस मतलब सेक्स का ज्यादा मजा।
सचाई : छोटे पेनिस की बात नाकामयाब दिमाग में ही आती है। दुनिया में ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे पेनिस के स्टैंडर्ड साइज का पता किया सके। वैजाइना की सेक्सुअल लंबाई छह इंच होती है। इसमें से बाहरी एक तिहाई हिस्सा यानी दो इंच में ही ग्लांस तंतु होते हैं। अगर किसी महिला को उत्तेजित करना है, तो वह योनि के बाहरी एक तिहाई हिस्से से ही उत्तेजित हो जाएगी। जाहिर है, अगर उत्तेजित अवस्था में पुरुष का लिंग दो इंच या उससे ज्यादा है, तो वह महिला को संतुष्ट करने के लिए काफी है। ध्यान रखें, खुद और अपने पार्टनर की संतुष्टि के लिए महत्वपूर्ण चीज पेनिस की लंबाई नहीं होती, बल्कि यह होती है कि उसमें तनाव कैसा आता है और कितनी देर टिकता है। पेनिस की चौड़ाई का भी खास महत्व नहीं है। योनि इलास्टिक होती है। जितना पेनिस का साइज होगा, वह उतनी ही फैल जाएगी। बड़ा पेनिस किसी भी तरह से सेक्स में ज्यादा आनंद की वजह नहीं होता।
2. पेनिस में टेढ़ापन होना सेक्स की नजर से समस्या है।
सचाई : पेनिस में थोड़ा टेढ़ापन होता ही है। किसी भी शख्स का पेनिस बिल्कुल सीधा नहीं होता। यह या तो थोड़ा दायीं तरफ या फिर थोड़ा बायीं तरफ झुका होता है। इसकी वजह से पेनिस को वैजाइना में प्रवेश कराने में कोई दिक्कत नहीं होती है। ध्यान रखें, घर में दाखिल होना महत्वपूर्ण है, थोड़े दायें होकर दाखिल हों या फिर बायें होकर या फिर सीधे। ऐसे मामलों में इलाज की जरूरत तब ही समझनी चाहिए योनि में पेनिस का प्रवेश कष्टदायक हो।
3. बाजार में तमाम तेल हैं, जिनकी मालिश करने से पेनिस को लंबा मोटा और ताकतवर बनाया जा सकता है। इसी तरह तमाम गोलियां, टॉनिक आदि लेने से सेक्स पावर बढ़ोतरी होती है।
सचाई : पेनिस पर बाजार में मिलने वाले टॉनिक का कोई असर नहीं होता, असर होता है उसके ऊपर बने सांड या घोड़े के चित्र का। इसी तरह जब पेनिस पर तेल की मालिश की जाती है, तो उस हाथ की स्नायु मजबूत होती हैं, जिससे तेल की मालिश की जाती है, लेकिन पेनिस की मसल्स पर इसका कोई भी असर नहीं होता।
4. पेनिस में नसें नजर आती हैं तो यह कमजोरी की निशानी है।
सचाई : पेनिस में अगर कभी नसें नजर आती भी हैं तो वे नॉर्मल हैं। उनका पेनिस की कमजोरी से कोई लेना देना नहीं है।
5. जिन लोगों के पेनिस सरकमसाइज्ड (इस स्थिति में पेनिस की फोरस्किन पीछे की तरफ रहती है और ग्लांस पेनिस हमेशा बाहर रहता है) हैं, वे सेक्स में ज्यादा कामयाब होते हैं।
सचाई : सरकमसाइज्ड पेनिस का सेक्स की संतुष्टि से कोई लेना-देना नहीं है। यह तब कराना चाहिए जब उत्तेजित अवस्था में पुरुष की फोरस्किन पीछे हटाने में दिक्कत हो।
6. सेक्स पावर बढ़ाने नुस्खे, गोलियां (आयुर्वेदिक और एलोपैथिक), मसाज ऑयल, शिलाजीत आदि बाजार में हैं। इनसे सेक्स पावर बढ़ाई जा सकती है।
सचाई : बाजार में आमतौर मिलने वाली ऐसी गोलियों और दवाओं से सेक्स पावर नहीं बढ़ती। आयुर्वेद के नियम कहते हैं कि मरीज को पहले डॉक्टर से मिलना चाहिए और फिर इलाज करना चाहिए। हर मरीज के लिए उसके हिसाब से दवा दी जाती है, दवाओं को जनरलाइज नहीं किया जा सकता।
एक पक्ष यह भी
यूथ्स की सेक्स समस्याओं पर एलोपैथी और आयुर्वेद की सोच में अंतर मिलता है। जहां एक तरफ एलोपैथी में माना जाता है कि सीमेन शरीर से बाहर निकलने से शरीर और दिमाग को कोई नुकसान नहीं होता, वहीं आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज करने वाले लोग सीमेन के संरक्षण की बात करते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टरों के मुताबिक :
- महीने में दो से आठ बार तक नाइट फॉल स्वाभाविक है, लेकिन इससे ज्यादा होने लगे, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक है।
- मास्टरबेशन करने से याददाश्त कमजोर होती है। एकाग्रता और सेहत पर बुरा असर होता है।
- प्रीमैच्योर इजैकुलेशन और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को आयुर्वेद में दवाओं के जरिए ठीक किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मरीज को खुद डॉक्टर से मिलकर इलाज कराना चाहिए। दरअसल, आयुर्वेद में मरीज विशेष के लक्षणों और हाल के हिसाब से दवा दी जाती है, जिनका फायदा होता है।
- बाजार में आयुर्वेद के नाम पर बिकने वाले मालिश करने के तेल, कैपसूल और ताकत की दवाएं जनरल होती हैं। इन बाजारू दवाओं से सेक्स पावर बढ़ाने या पेनिस को लंबा-मोटा करने में कोई मदद नहीं मिलती। ये चीजें आयुर्वेद को बदनाम करती हैं।
- विज्ञापनों और नीम-हकीमों से दूर रहें। तमाम नीम-हकीम आयुर्वेद के नाम पर युवकों को बेवकूफ बनाकर पैसा ठगते हैं। इनसे बचें और हमेशा किसी योग्य डॉक्टर से ही संपर्क करें।
- मर्यादित सेक्स करने से जिंदगी में यश बढ़ता है और परिवार में बढ़ोतरी होती है, जबकि अमर्यादित और बहुत ज्यादा सेक्स रोगों को बढ़ाता है।
- मल-मूत्र का वेग होने पर और व्रत, शोक और चिंता की स्थिति में सेक्स से परहेज करना चाहिए।
- जो चीजें शरीर को सेहतमंद रखने में मदद करती हैं, वही चीजें सेक्स की पावर बढ़ाने में भी मददगार हैं। ऐसे में अगर आप स्वास्थ्य के नियमों का पालन कर रहे हैं और सेहतमंद खाना ले रहे हैं तो आपको सेक्स पावर बढ़ाने वाली चीजें अलग से लेने की कोई जरूरत नहीं है।

चुंबन से होती है सेक्स की शुरुआत


सेक्स के जरूरी है कि पार्टनर को सेक्स के लिये तैयार किया जाय. यह प्रक्रिया फोरप्ले कहलाती है. इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है चुंबन. हाल में हुए अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि पूरे आवेग से लिया गया चुंबन एक खास किस्म के कांप्लेक्स केमिकल को दिमाग की तरफ भेजता है, जिससे व्यक्ति खुद को ज्यादा उत्तेजित, खुश अथवा आरामदायक स्थिति में महसूस करता है।

प्यार का इजहार करने के लिए चुंबन से बढ़कर शायद ही कोई दूसरा माध्यम हो। एक प्यार भरा चुंबन प्रेमी या प्रेमिका को दिन भर की तमाम उलझनों से मुक्त करके एक प्यार भरे संसार में ले जा सकता है। चुंबन के महत्व को देखते हुए यहां चुंबन के विभिन्न प्रकारों को बताया जा रहा है ।

1.बिगिनर्स किस- इस किस का अर्थ दो होठों के साधारण मिलन से है। यह किस होठों को ब्रुश के समान स्पर्श करके या हल्का दबाकर किया जाता है। इस किस के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं होती। अपने लवर को चारों तरफ से चूमकर इस किस को अंजाम दिया जाता है।

2.बटरफ्लाई किस- अपनी आंखों की बरौनी से प्रेमी के होठों, आंखों के बाल, गाल और गर्दन के स्पर्श को बटरफ्लाई किस कहते हैं।

3.लार किस- इस प्रकार का किस को पूरी गर्मजोशी के साथ किया जाता है। जब आप अपने प्रेमी को पूरी आत्मीयता से किस करें तो अपने होठों को धीर से हटा लें और लार की कुछ बूंदे प्रेम से उनके मुख में टपका दें।

4.फ्रेंच किस- फ्रेंच किस में अपनी जीभ अपने प्रेमी के मुख की कोमल त्वचा में डालकर उसे चारों ओर घुमाया जाता है। मुख से मुख मिलाकर फ्रेंच किस किया जाता है।

5.लवर्स पास- जब आप अपने प्रेमी को कुछ उत्तेजना भरा संदेश देना चाहें तो यह किस अपनाया जाता है। इसमें चाकलेट, फल या बर्फ का टुकड़ा अपने होठों से दबाकर अपने प्रेमी के होठों का स्पर्श किया जाता है। स्पर्श के बाद अपनी जीभ के सहारे दबाया गया टुकड़ा अपने प्रेमी के मुख में डाल दिया जाता है।

6.लस्ट लैप- यह किस पूरे नियंत्रण के साथ किया जाता है। इस किस में होठों से दबाकर चाटा जाता है। अपने होठों से अपने प्रेमी के होठों और त्वचा को सख्ती से दबाकर इसका आनंद लिया जाता है।

7.मेडिवल नेकलेट- कहा जाता है कि इस प्रकार का किस मध्यकाल के नाइट्स अपनी प्रेमिका या पत्‍नी को करते थे, जब वह लो कट नेकलाइन्स पहनती थीं। इस किस में उनकी गर्दन को चारों तरफ से धीरे-धीरे चूमा जाता था। पुरूष और महिलाएं दोनों इस प्रकार के चुंबन का लुत्‍फ उठाते थे।

8.मेडिटिरनियन फ्लिक- कहा जाता है कि इस चुंबन की उत्पत्ति लैटिन के प्रेमियों ने की थी। इस चुंबन का आनंद लेने के लिए लैटिन प्रेमी मिठाई के दानों को अपने प्रेमी के शरीर पर डालते थे। उसके बाद अपनी जीभ से उनके शरीर पर धीरे से हमला करते थे। अपने प्रेमी के शरीर की मनपसंद जगह में इन मिठाई के दानों को डाला जाता था। स्तन और पेट के आसपास के चुंबन से इसका विशेष रूप से आनंद लिया जाता है।

9.नॉटी डॉग- यह किस शरीर के सर्वाधिक संवेदनशील हिस्सों खासकर गर्दन, छाती, पेट और निचली जांघों में किया जाता है। अधखुला मुंह खोलकर इन हिस्सों का स्पर्श किया जाता है। छाती के निचले हिस्सों विशेषकर स्तन के निप्पलों को चूमने में विशेषरूप से आनंद आता है।

10.स्लाइडिंग किस- इस चुंबन में जीभ आगे पीछे गति करती है। जिस प्रकार क्रीम या सॉस को चाटा जाता है ठीक उसी प्रकार स्लाइडिंग किस किया जाता है। फोरप्ले में यह किस काफी उपयोगी होती है।

महिलाओं के लिए सेक्‍स के लाभ


महिलाएं सेक्‍स के दौरान न सिर्फ आंनद का अनुभव करती है बल्कि सेक्‍स से उन्‍हे कई प्रकार के शारीरिक और भावनात्‍मक लाभ भी होते है, सेक्‍स से महिलाओं के शारीरिक सरंचना में भी परिर्वतन आता है। सेक्‍स के दौरान अपने पार्टनर द्वारा मिले शारीरिक और भावनात्‍मक सर्पोट से महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है। यूं तो महिलाओं में हमेशा सेक्‍स की चाहत होती है, लेकिन मासिक पूरा हो जाने के पांच से सात दिन तक महिलाएं सेक्स के मूड में ज्यादा होती हैं क्योंकि मासिक चक्र पूरा होने के बाद सेक्स वाले हार्मोस सक्रिय हो जाते हैं। महावारी के पांच से सात दिन में सेक्स करना ज्यादा ही आनंद की अनुभूति कराता है साथ ही इसका लाभ कम से कम 12 दिनों तक रहता है। महावारी के बाद महिलाओं में सेक्स की तीव्र इच्छा जागृत होना स्वाभाविक है, क्योंकि इन दिनों में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती। वैसे तो यह शारीरिक जरूरत का एक आम हिस्‍सा है। सेक्स वैवाहिक संबंधों को सुखी बनाता है और भविष्य में दोनों के बीच सेक्स को लेकर दूरियां कभी नहीं आती। (सेक्स से संबंधी रोचक तथ्य)

महिलाओं में सेक्‍स के दौरान से शरीर में कैलोरी का जलन होता है जिससे महिलाओं में वजन कम होता है, यह एक शारीरिक व्‍यायाम है जो आपको स्‍वस्‍थ रखता है।
महिलाओं में सेक्स उन्मुक्ति को बढ़ाता है, और एक अलग ही आनंद का अनुभव कराता है।
महिलाओं में सेक्‍स कई बीमारियों को कम करता है जैसे सर्दी और अन्य बीमारियों के संक्रमण से शरीर की प्रतिरक्षा करता है, और आपको स्‍वस्थ बनाता हैं।
महिलाओं में सेक्स तनाव को कम करता है और उन्‍हें खुश रखने में मदद करता है।
महिलाओं में सेक्‍स रक्तचाप को भी कम करता है सेक्‍स से रक्‍तचाप नियंत्रित रहता है और कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
सेक्स दिल को मजबूत बनाता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना कम होती एक सप्ताह में सेक्स दो बार या दो से अधिक बार सेक्‍स करने से महिलाओं में घातक दिल के दौरे की संभावना उन महिलाओं के तुलना में कम हो जाती है, जो कम सेक्स करती है
सेक्स महिलाओं में आत्मसम्मान को बढ़ाता है।
सेक्स अंतरंगता और रिश्तों को बेहतर बनाता है। वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाता है।
सेक्स करने से कई बीमारियों के दर्द से राहत मिल सकती हैं, जैसे गठिया, सिर दर्द इत्‍यादि में सेक्स के बाद कुछ राहत पा सकते हैं।
सेक्स महिलाओं कैंसर, सिस्‍ट जैसी बीमारियों के भी खतरे को भी कम करता है।
महिलाओं में सेक्स पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। संभोग के दौरान उनकी पैल्विक मांसपेशियों का व्यायाम होता है जिससे महिलाओं में असंयम का जोखिम कम हो जाता है।
बेहतर नींद के लिए सेक्स जरूरी है। संभोग के बाद, महिलाओं को बेहतर नींद आती है और स्वास्थ्य लाभ होता है।

अलसी के असरकारी फायदे


ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करता है।
तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है।
कैंसररोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाता है।
रक्त में शर्करा तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है।
जोड़ों का कड़ापन कम करता है।
प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखता है।
हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करता है।
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा आदि से बचाता है।
बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाता है।
इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों से राहत प्रदान करता है। मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखता है।
अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।
अलसी का सेवन भोजन के पहले या भोजन के साथ करने से पेट भरने का एहसास होकर भूख कम लगती है। इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है।
चयापचय की दर को बढ़ाता है एवं यकृत को स्वस्थ रखता है।
प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रख कब्ज से मुक्ति दिलाता है।

अलसी कैसे काम करती है 

अलसी आधुनिक युग में स्त्रियों की यौन-इच्छा, कामोत्तेजना, चरम-आनंद विकार, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की महान औषधि है। स्त्रियों की सभी लैंगिक समस्याओं के सारे उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। ( व्हाई वी लव और ऐनाटॉमी ऑफ लव)  की महान लेखिका, शोधकर्ता और चिंतक हेलन फिशर भी अलसी को प्रेम, काम-पिपासा और लैंगिक संसर्ग के लिए आवश्यक सभी रसायनों जैसे डोपामीन, नाइट्रिक ऑक्साइड, नोरइपिनेफ्रीन, ऑक्सिटोसिन, सीरोटोनिन, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स का प्रमुख घटक मानती है

सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।

अलसी आपकी देह को ऊर्जावान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।

अलसी में ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन, लिगनेन, सेलेनियम, जिंक और मेगनीशियम होते हैं जो स्त्री हार्मोन्स, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स ( आकर्षण के हार्मोन) के निर्माण के मूलभूत घटक हैं। टेस्टोस्टिरोन आपकी कामेच्छा को चरम स्तर पर रखता है।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट और लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे कामोत्तेजना बढ़ती है।

इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करती हैं जिससे मस्तिष्क और जननेन्द्रियों के बीच सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, दिव्य सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।

सेवन का तरीका
अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून लें। फिर मिक्सर में पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें।
इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है।

औरत ये भी समझें


रिलेशनशिप का एक बड़ा पहलू है सेक्स, लेकिन अक्सर कुछ गलत थॉट्स इन स्पेशल मोमेंट्स को खराब कर देते हैं। ऐसे में कई बातों पर महिलाओं को सोच बदलने की जरूरत है
हर बात की तरह सेक्स में भी एक-दूसरे की फीलिंग्स की कद्र करके ही रिलेशन अच्छा बनाया जा सकता है। ऐसे में लेडीज को मेल ऐंगल से भी बात समझने की जरूरत है, तभी रिश्ता हमेशा फ्रेश रहेगा।

अग्रेसिव है चाहत
हाल में एक रिसर्च के मुताबिक मेल पार्टनर भी चाहते हैं कि जिस तरह वे अपनी फीमेल पार्टनर के साथ इंटीमेट होने के लिए अग्रेसिव रहते हैं, उनकी पार्टनर भी वैसा ही फील करे। जबकि महिलाएं अक्सर इस लेवल पर अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस नहीं कर पातीं या फिर कहीं ना कहीं अपनी फीलिंग्स कंट्रोल कर लेती हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स आपको खुलकर रिलेशन जीने की सलाह देते हैं।

लुक्स की टेंशन
आप अपने पार्टनर के साथ टाइम स्पेंड करना चाहती हैं, लेकिन अपने लुक्स को लेकर टेंशन में रहती हैं। कभी आप अपने बैली फैट के बारे में सोचती हैं, तो कभी मेकअप के बारे में। यही वजह है कि जब आप बेड पर होती हैं, तब अपने पार्टनर से पूरी तरह मिक्सअप नहीं हो पातीं। जबकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस पॉइंट पर हर हज्बंड चाहता है कि उसकी वाइफ उस वक्त सारी टेंशन छोड़कर बस प्लेजर फील करे।

जस्ट सेक्स
अक्सर सभी वाइफ सोचती हैं कि उनके हज्बंड के लिए सेक्स बस ही सेक्स है। लेकिन कुछ रिसर्च बताती हैं कि लड़का-लड़की रिलेशनशिप में आने के बाद ही अपनी सेक्स लाइफ अच्छे से एंजॉय कर पाते हैं और ऐक्ट के बाद सेटिस्फाइड भी होते हैं। वैसे, एक रिसर्च यह भी बताती है कि मैरिड लोग अपनी सेक्स लाइफ ज्यादा अच्छे से एंजॉय करते हैं।

हमेशा रेडी नहीं
क्या आप भी यही सोचती हैं कि पुरुष हमेशा सेक्स के लिए किसी भी टाइम रेडी रहते हैं। लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है। हां, टीनेज में सेक्स उनके लिए अडवेंचर या प्लेजर हो सकता है, लेकिन मैरिड लाइफ में ऐसा नहीं है। एक रिसर्च बताती है कि इस बात को लेडीज ऐक्सेप्ट नहीं कर पातीं और जब उनके हज्बंड उन्हें सेक्स के लिए ना कहते हैं, तब वे रिलेशन को लेकर इनसिक्योर होने लगती हैं। जाहिर है कि वाइफ को हज्बंड को लेकर यह सोच बदलनी होगी, तभी वह सामने वाले की फीलिंग्स की रिस्पेक्ट कर पाएंगी।

गाइडेंस ना दें
आप अपने पार्टनर के साथ लव टाइम स्पेंड कर रही हैं और साथ ही आप उन्हें इंस्ट्रक्शंस भी दे रही हैं कि अब उन्हें क्या करना है, तो अपनी यह आदत अभी बदल दें। दरअसल, कोई मेल नहीं चाहता है कि वाइफ इसे इस सब्जेक्ट पर गाइड करे। अगर आप ऐसा करती हैं, तो वह आपके सामने अपनी फीलिंग्स फ्री होकर नहीं शेयर कर पाएंगे। वैसे, रिलेशनशिप एक्सपर्ट का मानना है कि मेन्स अपनी वाइफ को सेटिस्फाइड करना बहुत अच्छे से जानते हैं, इसलिए वे इंस्ट्रक्शंस लेना पसंद नहीं करते।

कुछ करना हो नया
अगर आपका हज्बंड आपको कुछ नया करने के लिए कहता है, तो यह ना सोचें कि वह रिलेशन से खुश नहीं हैं। ऐसी बातों पर लेडीज अक्सर सही मूव्स लेने की बजाय अपना मूड ऑफ कर लेती हैं। जबकि आपको इसे दिल पर ना लेते हुए कुछ नया करने के बारे में सोचना चाहिए, जो दोनों के कंफर्ट जोन में हो।

कैसे बढ़ाए यौन-शक्ति


अकसर लोग यौन-शक्ति को बढ़ाने कि लिए तरह-तरह के उपचार, उपाए और नुस्खे खोजते रहते है। कई लोग तो यौन-शक्ति की कमी को लेकर इतने परेशान हो जाते है कि वो महंगे से महंगा उपाए भी करने से परहेज नहीं करते। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है, अगर आप कुछ घरेलु नुस्खों को अपनाए तो आपकी सेक्स लाइफ की परेशानियां भी हो सकती है छूमंतर।

लहुसन:- कच्चे लहसुन की 2-3 कलियो का प्रतिदिन सेवन करना यौन-शाक्ति बढ़ाने का बेहतरीन घरेलु उपचार है।

प्याज:- लहसुन के बाद प्याज एक और कारगर उपाय है। सफेद कच्चे प्याज का प्रयोग अपने नित्य आहार मे करें।

काले चने:- काले-चने से बने खाद्य-पदार्थ जैसे डोसा आदि का हफ्ते मे 2-3 बार प्रयोग काफी लाभकारी होता है।

गाजर:- 150 ग्राम बारीक कटी गाजर को एक उबले हुए अंडे के आधे हिस्से मे एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में एक बार सेवन करे। इसका प्रयोग लगातार 1-2 महीने तक करें।

भिंडी:- प्राचीन भारतीय साहित्य के अनुसार 5-10 ग्राम भिंडी की ज़ड के पाउडर को एक गिलास दूध तथा दो चम्मच मिश्री मे मिलाकर नित्य सेवन करने से आपकी यौन-शक्ति कभी कम नही प़डेगी।

सफे द मूसली:- यूनानी चिकित्सा के अनुसार सफेद मूसली का प्रयोग भी बेहद लाभदायक होता है। 15 ग्राम सफेद मूसली को एक कप दूध मे उबालकर दिन मे दो बार पीने से यौन-शक्ति बढ़ती है।

सहजन:- 15 ग्राम सहजन के फूलो को 250 मिली दूध मे उबालकर सूप बनाए। यौन-टौनिक के रूप मे इसका सेवन करे।

अदरक:- आधा चम्मच अदरक का रस, एक चम्मच शहद तथा एक उबले हुए अंडे का आधा हिस्सा, सभी को मिलकार मिश्रण बनाए प्रतिदिन रात को सोने से पहले एक महीने तक सेवन करे।

खजूद:- बादाम, पिस्ता खजूर तथा श्रीफल के बीजो को बराबर मात्रा मे लेकर मिश्रण बनाए। प्रतिदिन 100 ग्राम सेवन करे।

किशमिश:- 30 ग्राम किशमिश को गुनगुने पानी मे धोए, 200 मिली दूध मे उबाले तथा दिन मे तीन बार सेवन करे। ध्यान रखिए की प्रत्येक बार ताजा मिश्रण तैयार करे। धीरे धीरे 30 ग्राम किशमिश की मात्रा को 50 ग्राम तक करें।

ताजे फलो का सेवन:- यौन-शक्ति कमजोरी से पीडित रोगियो को शुरू में 5-5 घंटे के अंतराल से विशेष रूप से ताजा फलो का आधार लेना चाहिए उसके बाद वह पुन: अपनी नियमित खुराक धीरे-धीरे प्रारंभ कर सकते है। रोगी को धूम्रपान , शराब चाय तथा कॉफी के सेवन से बचना चाहिए, और विशेष रूप से सफेद चीनी तथा मैदे या उनसे बने उत्पादो का परहेज करना चाहिए।

Monday, 12 November 2012

वीर्य को बढ़ाना


* इमली के बीजों को पानी में छिलका उतरने तक भिगो लें। इसके बाद इन बीजों का छिलका उतारकर चूर्ण बना लें। इसके लगभग आधा किलो चूर्ण में इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। इसमें से लगभग 2 ग्राम चूर्ण को लगभग 40 दिनों तक नियमित रूप से फांकने के बाद ऊपर से दूध पीने से वीर्य गाढ़ा होता है और शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है।

* बरगद के पके हुए फलों को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में रोजाना शाम को दूध के साथ लेने से एक सप्ताह के बाद ही वीर्य गाढ़ा होना शुरू हो जाता है। इस चूर्ण को लगभग 40 दिनों तक सेवन किया जा सकता है।

* लगभग आधा किलो देशी फूल की कच्ची कलियों को डेढ़ लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी उबलने के बाद जल जाने पर इस मिश्रण को बारीक पीसकर 5-5 ग्राम की गोलियां बनाकर एक कांच के बर्तन में रखकर ऊपर से ढक्कन लगा दें। इसमें से 1 गोली को रोजाना सुबह के समय दूध के साथ लेने से संभोग करने की शक्ति बढ़ती है और वीर्य भी मजबूत होता है।

 * लगभग 10 ग्राम बिदारीकंद के चूर्ण को गूलर के रस में मिलाकर चाट लें। इसके ऊपर से घी मिला हुआ दूध पीने से जो व्यक्ति संभोग क्रिया में पूरी तरह से सक्षम नहीं होते उनके शरीर में भी यौन शक्ति का संचार होने लगता है।

 * देशी फूल की तुरंत उगी अर्थात नई कोंपलों को सुखाकर और पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 6 ग्राम की मात्रा में फांककर ऊपर से मिश्री मिला हुआ दूध पीने से वीर्य पुष्ट होता है। इसके अलावा इसका सेवन करने से पेशाब के साथ वीर्य का आना और स्वप्नदोष जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।

* चिरौंजी, मुलहठी और दूधिया बिदारीकंद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 1 सप्ताह तक लेने से और ऊपर से दूध पीने से वीर्य के सारे दोष दूर होते हैं और वीर्य बढ़ जाता है।

* सोंठ, सतावर, गोरखमुंडी, थोड़ी सी हींग और देशी खांड को एक साथ मिलाकर सेवन करने से लिंग मजबूत और सख्त होता है और बुढ़ापे तक ऐसा ही रहता है। इसके अलावा इसको  लेने से वीर्य बढ़ता है और शीघ्रपतन जैसे रोग दूर हो जाते हैं। इस चूर्ण का सेवन करते समय गुड़ और खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

* सिंघाड़े के आटे का हलुआ, उड़द और चने की दाल का हलुआ, अंडों की जर्दी का गाय के घी में तैयार किया हुआ हलुआ, मेथी और उड़द की दाल के लडडू, आंवले की चटनी, गेहूं, चावल, बराबर मात्रा में जौ और उड़द का आटा और उसमें थोड़ी सी पीपल को डालकर तैयार की गई पूडि़यां और नारियल की खीर आदि का सेवन करने से हर तरह के धातु रोग नष्ट हो जाते हैं, वीर्य पुष्ट होता है और संभोग करने की शक्ति बढ़ती है।

कामशक्ति को बढ़ाने वाले उपाय


परिचय - कोई भी स्त्री या पुरुष जब दूसरे लिंग के प्रति आर्कषण महसूस करने लगता है तो उसी समय से सेक्स उनके लिए एक बहुत ही खास विषय बन जाता है। उनके मन में सेक्स के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है और शादी से पहले यह लोग सेक्स करने से भी पीछे नहीं हटते। सेक्स करने में जितना आनंद मिलता है उतनी ही उसके प्रति संवेदनशीलता बनी रहती है। इसी वजह से चाहे स्त्री हो या पुरुष दोनों में ही सेक्स के प्रति हमेशा एक भूख सी रहती है वह ज्यादा से ज्यादा सेक्स का मजा लेना चाहता है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो सेक्स का मजा लेना चाहते हैं लेकिन सेक्स करते समय वह कुछ ही देर में ठंडे हो जाते हैं। ऐसे मामलों में उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि उन्हें शीघ्रपतन का रोग है। ऐसे लोग वैसे तो पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं लेकिन दिमागी रूप से बीमार हो जाते हैं। उनके मन में यह विचार भी आने लगते हैं कि अगर मैं संभोगक्रिया के समय अपने पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाता तो वह मुझसे नफरत करने लग सकता है या मुझे छोड़कर जा सकता है। यह एक ऐसी दिमागी समस्या है जिसके कारण आज लगभग हर वर्ग का व्यक्ति परेशान है। संभोगक्रिया के समय जब पुरुष का वीर्य निकल जाता है तभी उसकी संभोगक्रिया और संतुष्टि का चक्र पूरा हो गया मान लिया जाता है क्योंकि चरम आनंद के साथ ही वीर्य के निकलने का संबंध भी जुड़ा है लेकिन इसके बाद भी पुरुष की अंदर की प्यास नहीं बुझती। इसी वजह से वह अंदर ही अंदर शर्मिंदगी से घुटता  है इसमें अगर पुरुष सही तरह से और सही तरीके से संभोग करे तो वह इस क्रिया को इच्छा के अनुसार बढ़ा सकता है। इसके लिए उसे किसी तरह की दवा आदि न खाकर और उल्टे-सीधे नीम हकीमों के चक्कर में न पड़कर सिर्फ कुछ खास बातों की ओर ध्यान देने की जरुरत है।
संभोग करते समय जल्दबाजी न करें
संभोग करते समय किसी भी तरह की जल्दी करना या हड़बड़ाहट मचाना जल्दी वीर्यपात का कारण बनता है। किसी भी पति और पत्नी के बीच सेक्स संबंध सिर्फ खानापूर्ति के लिए या किसी भी काम को जल्दी से निपटाने के मकसद से नहीं होने चाहिए। ऐसे बहुत से व्यक्ति होते हैं जो संभोग करते समय तुरंत ही पूरे जोश में आ जाते हैं। उनकी उत्तेजना समय से पहले ही चरम सीमा तक पंहुच जाती है और जल्दी ही उनका वीर्यपात हो जाता है। कुछ समय में ही पुरुषों की ऐसी आदत से उनकी पत्नियां भी परेशान रहने लगती हैं क्योंकि उनको भी अपने पति की आदत से सेक्स में पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिल पाती है। इसलिए पुरुषों को संभोग करते समय किसी तरह की जल्दबाजी न करके धैर्यपूर्वक इस क्रिया को करनी चाहिए। इससे न सिर्फ पुरुष इस क्रिया को लंबा और संतुष्टि के साथ कर सकता है बल्कि स्त्री को पूरी तरह से यौन संतुष्टि मिलती है।
उत्तेजना पर ध्यान
पुरुष को अगर अपनी संभोगक्रिया को काफी देर तक करना  चाहता है तो उसे अपनी उत्तेजना का खासतौर पर ध्यान रखना जरूरी है। संभोगक्रिया के समय उत्तेजना का बढ़ना और काफी समय तक रहना पुरुष की शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर करता है। जैसे ही महसूस हो कि शरीर में उत्तेजना बढ़ रही है, लिंग सख्त होता जा रहा है तो उसी समय अपनी शारीरिक क्रियाएं बंद कर देनी चाहिए, एकदम से शांत हो जाए। इससे बढ़ी हुई उत्तेजना सामान्य होने लगती है। अगर उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती है और शारीरिक आघात जारी रहते हैं तो वीर्य को निकलने से रोक पाना संभव नहीं हो पाता। इसलिए उत्तेजना को ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहिए।
वातावरण का ध्यान
संभोगक्रिया करते समय वातावरण का भी खासतौर पर ध्यान देना पड़ता है। संभोगक्रिया में पूरी तरह आनंद और संतुष्टि तब तक नहीं मिल पाती जब तक इस क्रिया को बिना किसी डर के और निश्चिंत होकर न किया जाए। शादी के बाद सोने के लिए पति और पत्नी के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था कर दी जाती है फिर भी कई बार इस व्यवस्था में अचानक किसी तरह की रुकावट आ जाती है तो ऐसे में उन्हें सेक्स संबंध नहीं बनाने चाहिए। कई बार पति-पत्नी अपने कमरे में आकर संभोगक्रिया करने लगते हैं तभी उन्हें अगर कोई आवाज दे देता है तो उस समय उनकी सेक्स संबंधों के दौरान बनी मानसिकता को तेज आघात पहुंचता है और यही जल्दी वीर्यपात का कारण बनता है। अगर पति और पत्नी अपने कमरे में आते हैं तो उन्हें तुरंत ही संभोगक्रिया में नहीं लग जाना चाहिए। कमरे में आते ही सबसे पहले आपस में किसी भी टाँपिक को लेकर बातें आदि करने लग जाएं। जैसे ही लगे कि अब घर में सब लोग सो गए हैं तब संभोगक्रिया करने के लिए तैयार हो जाए। कमरे में हरे रंग या आसमानी रंग का बल्ब जलाकर संभोगक्रिया करने से आनंद मिलता है।
संभोगक्रिया के समय विभिन्न आसनों का प्रयोग हानिकारक है
संभोगक्रिया के समय बहुत से पुरुष अपनी बीवियों को सेक्स के अलग-अलग आसनों को प्रयोग करने की प्रयोगशाला बना देते हैं। पुरुष अक्सर किताबों या फिल्मों में सेक्स करने के अलग-अलग तरीकों को देखकर अपनी पत्नी के साथ भी उसी तरह सेक्स करने के लिए जोर डालते हैं। लेकिन सेक्स करने के यह तरीके या आसन जो दिखाए जाते हैं उनको करना लगभग नामुनकिन होता है। इन अलग-अलग आसनों को करते समय या संबंध बनाते समय पुरुष इस कदर उत्तेजित हो जाते हैं कि उसके लिए संबंध बनाए रखना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से वे शीघ्र स्खलित हो जाते हैं। पत्नी को भी ऐसा महसूस होता है कि उसका पति तो उसे किसी खिलौने की तरह प्रयोग कर रहा है जिसके कारण वह शारीरिक और दिमागी रूप से पीड़ित रहने लगती है। वैसे भी सेक्स संबंधों का जितना आनंद सामान्य आसन से मिलता है उतना अलग-अलग आसनों का प्रयोग करने से नहीं मिलता। बहुत से विद्वानों का कहना है कि जो व्यक्ति सामान्य आसनों का प्रयोग करके सेक्स संबंधों का आनंद उठा रहा है उन्हें भूलकर भी अलग-अलग आसनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा आसन है कि संभोगक्रिया के समय पत्नी को नीचे और पति को उसके ऊपर लेटना चाहिए। इस आसन को करते समय पुरुष का लिंग बहुत ही आसानी के स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाता है और पुरुष संभोग के समय स्त्री के चेहरे के भावों को पढ़ सकता है। विराम के समय स्त्री के शरीर पर निश्चल लेटने से एक अनोखा सुख प्राप्त होता है।इसके बाद सिर्फ विपरीत रति वाले आसन को ही अच्छा माना गया है। इस आसन में पति नीचे लेटता है और पत्नी उसके ऊपर लेटती है। इसमें शरीर संचालन स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर कर सकते हैं। इस आसन में भी सारी स्थितियां पहले आसन के ही जैसी होती हैं लेकिन विराम के समय आराम का सुख स्त्री को ही मिलता है। इन दोनों आसनों की खासियत यह है कि इसमें जब तक संभोगक्रिया चलती है तब तक बिना किसी परेशानी के चलती है। दूसरे किसी आसन में यह सुविधा नजर नहीं आती है। बाकी सारे आसनों में जो कमी नजर आती है वह यह है कि उनमें संभोग और विराम काल में स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के सीने से लगकर आनंद नहीं उठा पाते। दूसरे आसनों में लिंग योनि में इतनी आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता जितनी आसानी से पहले वाले आसन में हो जाता है। कई बार लिंग को योनि में प्रवेश कराने से पुरुष की उत्तेजना इतनी बढ़ जाती है कि योनि में प्रवेश के साथ ही पुरुष का वीर्य निकल जाता है। इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि जो व्यक्ति शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त होता है उन्हें पहले वाले आसन में ही संभोग करना चाहिए।
संभोगक्रिया में अपने आप पर काबू रखें
सेक्स और संयम का आपस में बहुत ही गहरा संबंध है। बिना संयम के  संभोगक्रिया चल ही नहीं सकती। वैसे भी कहते है कि संयम ही सेक्स की धुरी है और संयम हर क्रिया में बहुत जरूरी है। युवा वर्ग के लिए संयम रखना बहुत जरूरी है। बहुत से व्यक्ति जब देखते हैं कि घर में कोई नहीं है तो वह तुरंत ही मौके का फायदा उठाकर अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाना चाहते हैं और तुरंत ही जल्दबाजी में संबंध लेते हैं। पत्नी भी इस चीज का विरोध नहीं कर पाती। इस प्रकार संबंध बनाते समय पुरुष की उत्तेजना शुरुआती दौर में ही चरम की स्थिति तक पंहुच जाती है। फिर किसी के आ जाने का डर उसे सबकुछ जल्दी-जल्दी करने पर मजबूर कर देती है। ऐसे समय में पुरुष का नाता संयम से बिल्कुल टूट जाता है और वीर्य जल्दी ही निकल जाता है। इसके अलावा और भी कई मौके आते हैं जब पति अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने का मौका छोड़ना नहीं चाहता जिसके कारण व्यक्ति शीघ्र स्खलन का शिकार हो जाता है। इसलिए थोड़े से मजे के चक्कर में अपने आपको शीघ्र स्खलन का रोगी न बनने दें। अगर इस स्थिति को संभाला नहीं जाता तो संभोग के नाम पर पुरुष सिर्फ स्खलन की क्रिया ही पूरी करेगा। इसमें स्त्री को संतुष्टि सिर्फ नाम के लिए ही मिल पाती है। इसलिए सेक्स के समय संयम के महत्व को समझना बहुत जरूरी है।
सांसों को सयंमित रखें
संभोग करते समय सांसों की गति को सयंमित रखकर चरम की तरफ तेजी से बढ़ती हुई उत्तेजना को कम किया जा सकता है। उत्तेजना के बढ़ने पर जब आपको महसूस हो कि आपके न चाहते हुए भी आपका वीर्यपात होने को है तो उसी समय अपनी शारीरिक गतिविधियों को बंद कर देना चाहिए। शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें और आंखे बंद करके लंबी सांस भरें। सांस को एकदम से बाहर नहीं छोड़ना चाहिए। जितना समय सांस को लेने में लगे उससे दुगने समय तक सांस को रोककर रखना चाहिए। सांस को छोड़कर फिर थोड़ी देर तक रुकना चाहिए। इसके बाद दुबारा जितनी लंबी सांस ले सकते हैं लें। सांस लेकर कुछ देर तक रुकें और फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़े। 2-3 बार ऐसा करने से बढ़ी हुई उत्तेजना धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसा करने में अगर व्यक्ति सफल हो जाता हो तो उसके सेक्स संबंधों के समय में बढ़ोत्तरी होती जाती है।
प्राक-क्रीड़ा को लंबा न खींचे
कुदरत ने स्त्री के शरीर को इस प्रकार का बनाया है कि उसे देखते ही पुरुष के शरीर में उत्तेजना बढ़ने लगती है। शादी से पहले अगर कोई व्यक्ति किसी लड़की से संबंध नहीं बनाता तो स्त्री के शरीर को छूने की और देखने की लालसा उसमें बढ़ती रहती है। ऐसा ही बिल्कुल स्त्री के साथ भी होता है। पुरुष स्त्री के शरीर को देखता है़ उसके अंगों को सहलाता है, आलिंगन करता है, उसके शरीर को चूमता है आदि। इसी के साथ वह चाहता है कि स्त्री भी उसके उसके शरीर के साथ वैसा ही करे जैसा वह करता है और वह स्त्री को ऐसा करने के लिए उकसाता है यही प्राक-क्रीड़ा होती है। इन सभी क्रियाओं में स्त्री इतनी ज्यादा उत्तेजित नहीं होती जितना कि पुरुष हो जाता है। स्त्री के शरीर से छेड़छाड़ करने से या अपने गुप्तांग को स्त्री के हाथों से छुआने से, संभोग करने से पहले ही पुरुष की उत्तेजना इतनी तेज हो जाती है कि वह स्त्री के साथ संभोग करने से पहले ही अनिंयत्रित उत्तेजना का शिकार होकर ठंडा पड़ जाता है जिसके कारण स्त्री भी अपनी संभोग करने की इच्छा को मन में ही दबाकर रह जाती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि शारीरिक उत्तेजना को ज्यादा लंबा न खींचे। प्राक-क्रीड़ा संभोग करने की क्रिया को शुऱू करने का एक जरुरी हिस्सा है लेकिन इसी में ही अपनी ऊर्जा को खर्च नहीं कर देना चाहिए।इस बारे में एक बात ध्यान रखना और भी जरूरी है कि पुरुष को स्त्री से अपने गुप्तांग को उत्तेजित नहीं करना चाहिए क्योंकि संभोगक्रिया करने के लिए स्त्री को तैयार होने में थोड़ा समय लगता है जबकि पुरुष उससे जल्दी उत्तेजित हो जाता है। संभोगक्रिया में लिंग मुंड की बहुत ही खास भूमिका होती है। लिंग मुंड की त्वचा बहुत ही संवेदनशील होती है। स्त्री द्वारा इसे ज्यादा छूने से संभोग करने से पहले ही व्यक्ति की उत्तेजना चरम सीमा पर पंहुचने लगती है। जब संभोग किया जाता है तो पुरुष आगे बढ़ने के स्थान पर वहीं ढेर हो जाता है। जिन लोगों की उत्तेजना बहुत तेजी से भड़कती है उन्हें शारीरिक छेड़छाड़ से बचना चाहिए। अगर पुरुष इस बात का ध्यान रखें तो सेक्स संबंधों के दौरान मिलने वाले आनंद की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। कुछ महान लोगों का मानना है कि जिस व्यक्ति की कामशक्ति कमजोर है उन्हें प्राक-क्रीड़ा से बचना चाहिए लेकिन ऐसा करने से स्त्री को सेक्स के लिए दिमागी रूप से तैयार होने में थोड़ी परेशानी महसूस हो सकती है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को प्राक-क्रीड़ा के समय अपने सारे कपड़े नहीं उतारने चाहिए। कुछ समय तक स्त्री के शरीर के अंगों से छेड़छाड़ करके काम चलाया जा सकता है। जब संबंध बनाने हो तभी अपने आखिरी कपड़े को उतारना चाहिए और सेक्स में लीन हो जाना चाहिए। अगर शुरू में ही सारे कपड़े उतार दिये जाते हैं तो स्त्री के शरीर से लिंग आदि की रगड़ लगने से उसकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है जिसके कारण जल्द ही वीर्यपात हो जाता है। संभोग करते समय कमरे में ज्यादा रोशनी न करके हल्की रोशनी वाला बल्ब लगाना चाहिए।
संभोग के समय गंदी बातें न करें
संभोगक्रिया के समय काफी लोगों की आदत होती है कि वह इस दौरान अश्लील और उत्तेजना बढ़ाने वाली बातें करते हैं और अपनी पत्नी से भी चाहते हैं कि वह भी उसी प्रकार की बातें करें। इससे एक तो पुरुष को मजा आता है और साथ ही उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लगती है। इससे संभोग करने से पहले ही वह इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि कुछ करने से पहले ही उनका वीर्यपात हो जाता है। इसलिए संभोग करने से पहले न तो खुद अश्लील बातें करें और न ही पत्नी को ऐसा करने के लिए उकसाएं। संभोगक्रिया के समय किसी भी प्रकार की उत्तेजना बढ़ाने वाली बातें करने के स्थान पर विराम के समय पत्नी से ऐसी बातें करें जिनका कि सेक्स से कोई संबंध न हो। ऐसा करने से एक तो बढ़ती हुई उत्तेजना कम होती है और दूसरा जल्दी वीर्यपात होने का डर नहीं रहता तथा दूसरी बातों के कारण स्त्री भी रुचि लेकर बातचीत में साथ देगी। ऐसी बातें करने से आत्मीयता बढ़ती है। अगर कोई व्यक्ति सेक्स संबंधों को ज्यादा नहीं खींच पाते तो कहीं न कहीं उसका कारण अश्लील और उत्तेजना बढ़ाने वाली बातचीत हो सकती है।
संभोगक्रिया के समय नशीले पदार्थों के सेवन से बचे  
बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर नशीले पदार्थों का सेवन करके सेक्स किया जाए तो यह क्रिया ज्यादा समय तक और आनंदमय हो जाती है। यही सोचकर वह इसे करने के लिए शराब, भांग, गांजा, अफीम या दूसरी किसी तेज चीज का सेवन करते हैं। लेकिन इससे बस थोड़ी देर के लिए ही उत्तेजना पैदा होती है और जितनी तेजी से पैदा होती है उतनी ही तेजी से खत्म हो जाती है। नशा करके सेक्स करने वालों की कामशक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है और उनकी ऊर्जा समय से पहले ही समाप्त हो जाती है। इसके अलावा नशा करके सेक्स करने वालों का बर्ताव भी जानवरों जैसा हो जाता है। उसमें अच्छा-बुरा पहचान करने की क्षमता खत्म हो जाती है और वह अपनी पत्नी को जानवरों की तरह नोचने लगता है। पत्नी अपने पति के इस व्यवहार से प्रताड़ित होकर संभोगक्रिया का आनंद लेने के बजाय अपने आपको पति से पीछा छुड़ाने के उपाय ढूंढती रहती है। इसलिए मन से ऐसे विचारों को तुरंत ही निकाल देना चाहिए कि नशा संभोग करने की शक्ति को बढ़ाता है।
तनावमुक्त रहे
आज के समय में हर इंसान किसी न किसी तनाव से घिरा हुआ है चाहे वह तनाव खाने से संबंधित हो, सोने से संबंधित हो, दिमाग से संबंधित हो या शरीर से संबंधित हो। यही तनाव व्यक्ति की सेक्स पाँवर पर भी असर डालता है। व्यक्ति का कोई भी काम तनाव की हालत में हो सकता है लेकिन संभोगक्रिया तनाव के साथ नहीं हो सकती। अगर किसी व्यक्ति को बहुत ज्यादा तनाव होता है तो उसका शारीरिक संबंधों की तरफ ध्यान ही नहीं होता। अगर वह किसी प्रकार से अपने आपको इन संबंधों के लिए तैयार कर लेता है तो उसका शरीर साथ नहीं देता, अगर जैसे-तैसे शरीर को तैयार कर लिया जाता है तो जल्दी वीर्यपात हो जाने के कारण संभोगक्रिया का पूरा मजा खराब हो जाता है। इस समस्या से आज के समय में बहुत से युवक ग्रस्त हैं वह खुद मानते हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण तनाव होता है। तनाव उनकी जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन गया है कि बाहर निकलने का नाम ही नहीं लेता।
चिकित्सा
* लगभग 10-10 ग्राम सफेद प्याज का रस और शहद, 2 अंडे की जर्दी और 25 मिलीलीटर शराब को एक साथ मिलाकर रोजाना शाम के समय लेने से संभोगशक्ति बढ़ जाती है।
* लगभग 5 बादाम की गिरी, 7 कालीमिर्च और 2 ग्राम पिसी हुई सोंठ तथा जरूरत के अनुसार मिश्री को एक साथ मिलाकर पीस लें और फंकी लें। इसके ऊपर से दूध पी लें। इस क्रिया को कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से संभोगक्रिया के समय जल्दी वीर्य निकलने की समस्या दूर हो जाती है।
* उड़द की दाल को पानी में पीसकर पिट्ठी बनाकर कढ़ाई में लाल होने तक भून लें। इसके बाद गर्म दूध में इस पिसी हुई दाल को डालकर खीर बना लें। अब इसमें मिश्री मिलाकर किसी कांसे या चांदी की थाली में परोसकर सेवन करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है। इस खीर को लगभग 40 दिनों तक प्रयोग करने से लाभ होता है।

वाजीकरण द्रव्य


दूध-  आयुर्वेद के अनुसार दूध को सबसे ज्यादा उपयोगी वाजीकरण औषधि का नाम दिया गया है। दूध वीर्य की वृद्धि करने वाला, काम-शक्ति को बढ़ाने वाला और शरीर की खोई हुई ताकत को दुबारा पैदा करने में प्रभावशाली होता है। अगर स्त्री के साथ संभोग करने से पहले गर्म दूध पी लिया जाए तो इससे यौनशक्ति बढ़ती है, संभोग के प्रति मन में इच्छा पैदा होती है, पूरी मात्रा में वीर्य स्खलन होता है। वहीं अगर संभोग करने के बाद गर्म और मीठा दूध पीने से संभोग करने के समय खर्च हुई शक्ति दुबारा मिलकर व्यक्ति की थकान दूर हो जाती है। इसलिए संभोग करने के पहले और बाद में हमेशा दूध पीना चाहिए।

उड़द- उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है और संभोग शक्ति बढ़ती है।

अंडा-  अंडे के अंदर वीर्य को बढ़ाने की बहुत ज्यादा क्षमता होती है। दूध के अंदर अंडे की जर्दी मिलाकर पीने से वीर्य बढ़ता है और संभोग करने की शक्ति भी तेज होती है। वैसे तो ज्यादातर लोग मुर्गी और मोरनी के अंडों का सेवन करते ही हैं लेकिन इनके अलावा चिड़िया के अंडों को भी बहुत ज्यादा वाजीकरण औषधि के रूप में गिना जाता है।

तालमखाना- तालमखाना ज्यादातर धान के खेतों में पाया जाता है इसे लेटिन भाषा में एस्टरकैन्था-लोंगिफोलिया कहते हैं। वीर्य के पतले होने पर, शीघ्रपतन रोग में, स्वप्नदोष होने पर, शुक्राणुओं की कमी होने पर रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालमखाना के बीज दूध के साथ लेने से लाभ होता है। इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।

गोखरू-  गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।

इसके अलावा गोखरू का चूर्ण, आंवले का चूर्ण, नीम और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस बने हुए चूर्ण को रसायन चूर्ण कहा जाता है। इस चूर्ण को रोजाना 3 बार 1-1 चम्मच की मात्रा में दूध या ताजे पानी के साथ लेने से नपुंसकता, संभोग करने की इच्छा न करना, वीर्य की कमी होना, प्रमेह, प्रदर और मूत्रकृच्छ जैसे रोगों में लाभ होता है।

मूसली- मूसली पूरे भारत में पाई जाती है। यह सफेद और काली दो प्रकार की होती है। काली मूसली से ज्यादा गुणकारी सफेद मूसली होती है। यह वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है।

मूसली के चूर्ण को लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य की बढ़ोत्तरी होती है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती है।

अंग में ताकत ही नहीं


१। मुलैठी का चूर्ण २० ग्राम + अश्वगंधा का चूर्ण २० ग्राम + विधारा चूर्ण १० ग्राम ; इन सबको कस कर घोंट लीजिये और फिर इस मिश्रित चूर्ण में से तीन ग्राम मात्रा लेकर सिद्ध मकरध्वज एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम) मिला कर मिश्री मिले दूध के साथ दिन में दो बार भोजन के बाद लीजिये।

२. मन्मथ रस एक गोली + पानी में भिगो कर छिलका निकाला इमली के बीज जिसे चियां या चिंचोका भी कहते हैं १ ग्राम पीसा हुआ + दो ग्राम गुड़ मिला कर सुबह शाम दूध से लीजिये।औषधि सेवन काल में सम्भोग से परहेज करिये फिर चालीस दिन बाद जब आपकी समस्या हल हो जाए तो आप सामान्य जीवन जियें। कब्जियत न होने दें आवश्यकता होने पर त्रिफ़ला चूर्ण ले लीजियेगा

शीघ्रपतन


१. मुलहठी चुर्ण - १०० ग्राम , देशी घी -२०० ग्राम, शहद -१०० ग्राम , बंग भस्म -२० ग्राम
मिलाकर एक एक चम्मच सुबह शाम लें ।

२. सफ़ेदी मूसली -१०० ग्राम , तालमखाना -२०० ग्राम , गोखूरू ३०० ग्राम ,मिश्री -६०० ग्राम मिलाकर एक एक चम्मच सुबह शाम लें।

नपुंसकता


 मुलैठी का चूर्ण २० ग्राम + अश्वगंधा का चूर्ण २० ग्राम + विधारा चूर्ण १० ग्राम ; इन सबको कस कर घोंट लीजिये और फिर इस मिश्रित चूर्ण में से तीन ग्राम मात्रा लेकर सिद्ध मकरध्वज एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम) मिला कर मिश्री मिले दूध के साथ दिन में दो बार भोजन के बाद लीजिये।

 मन्मथ रस एक गोली + पानी में भिगो कर छिलका निकाला इमली के बीज जिसे चियां या चिंचोका भी कहते हैं १ ग्राम पीसा हुआ + दो ग्राम गुड़ मिला कर सुबह शाम दूध से लीजिये।औषधि सेवन काल में सम्भोग से परहेज करिये फिर चालीस दिन बाद जब आपकी समस्या हल हो जाए तो आप सामान्य जीवन जियें। कब्जियत न होने दें आवश्यकता होने पर त्रिफ़ला चूर्ण ले लीजियेगा।

 शतावर ४० ग्राम + गोखरू ४० ग्राम + कुलंजन ४० ग्राम + विदारीकंद ४० ग्राम + कौंच(केवांच) के बीज ४ ग्राम + उटंगन के बीज ४ ग्राम + छोटी पीपल ४ ग्राम + छोटी इलायची के बीज ४ ग्राम + नागकेशर ४ ग्राम + सफेद मूसली ४ ग्राम + लाल चंदन ४ ग्राम + छरीला ४ ग्राम + गिलोय(गुळवेल)सत्व ४ ग्राम + वंशलोचन ४ ग्राम + मोचरस १० ग्राम ; इन सबको आप किसी भी आयुर्वेद के दवा विक्रेता से सरलता से ले सकते हैं इन्हें पीस कर सुबह शाम गाय के दूध से दो-दो चम्मच सेवन करें तथा उसके बाद १० ग्राम नारियल की गरी चबा लें।

 अश्वगंधा चूर्ण,चीनिया कपूर, खुरासानी अजवायन, जायफ़ल, जावित्री, अकरकरा,बच, शुद्ध भांग, रस सिंदूर ; इन सबको सात-सात ग्राम की मात्रा में लेकर कसकर घोंट लें। इन्हें पचास ग्राम मिश्री पीस कर मिला लें। इस मिश्रण को चार-चार ग्राम की मात्रा में रात में भोजन के बाद मलाई मिला कर चाट लीजिये और अगर मिल सके तो ऊपर से एक मूली खा लीजिये।


 वानरी गुटिका एक गोली + स्वर्णबंग एक रत्ती(१२५ मिग्रा)+ कौंचा पाक एक चम्मच मिला कर दिन में दो बार चाट लें ऊपर से दूध पी लीजिये।
यकीन मानिये कि चार दिन बाद आप खुद ही मुझे मेल करके धन्यवाद कर रहे होंगे कि चमत्कार हो गया। औषधि सेवन तीन माह तक करें व सेवन काल में मिर्च-मसाले व खटाई का सेवन न करें,मांसाहार बंद कर दें।

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय


तुलसी : 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।

लहसुन : 200 ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 60 मिली शहद मिलाकर एक साफ-सुथरी शीशी में भरकर ढक्कन लगाएं और किसी भी अनाज में 31 दिन के लिए रख दें। 31 दिनों के बाद 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसको लें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है।

जायफल : एक ग्राम जायफल का चूर्ण प्रातः ताजे जल के साथ सेवन करने से कुछ दिनों में ही यौन दुर्बलता दूर होती है।

दालचीनी : दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है और यौन दुर्बलता दूर होती है।

खजूर : शीतकाल में सुबह दो-तीन खजूर को घी में भूनकर नियमित खाएं, ऊपर से इलायची- शक्कर डालकर उबला हुआ दूध पीजिए। यह उत्तम यौन शक्तिवर्धक है।
तुलसी : 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।


स्त्रियों को द्रवित (संतुष्ट) करना

*  भूने हुऐ सुहागे को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद या नींबू के रस में मिलाकर पुरुष अपने शिश्न (लिंग) पर सुपारी (आगे के भाग) पर लगाकर सूखने के बाद ही सहवास (संभोग) करें। इससे स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
*  सुहागा चौकिया, समुद्र झाग, आधा ग्राम दूध, चाय या सब्जी के साथ स्त्री को खिलाने से स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।

अनेक रोगों की दवा भी है सेक्स


आप शीर्षक पढ़कर चौंक गए होंगे कि भला सेक्स भी रोगों की दवा हो सकता है? तो इसमें चौंकने जैसी कोई बात नहीं है। डॉक्टरों व वैज्ञानियों ने शोध करके यह पता लगाया है कि सेक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहां विवाहित जीवन में सेक्स एक-दूजे के बीच सुख, आनन्द, अपनापन लाता है, वही एक-दूजे के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को भी बनाए रखता है।
सेक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। सेक्स से शरीर में उत्पन्न एस्ट्रोजन हार्मोन ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी नहीं होने देता है। सेक्स करने से एब्*डराफिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी व चमकदार बनी रहती है।
एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर के लिए एक चमत्कार है, जो एक अनोखे सुख की अनुभूति कराता है। सफल व नियमित सेक्स करने वाले दंपति अधिक स्वस्थ देखे गए हैं। उनका सौंदर्य भी लंबी उम्र तक बना रहता है। उनमें उत्*तेजना, उत्साह, उमंग और आत्मविश्*वास भी अधिक होता है। सेक्स से परहेज करने वाले शर्म, संकोच, अपराधबोध व तनाव से पीड़ित रहते हैं।
दिमाग को तरोताजा रखने व तनाव को दूर करने के लिए नियमित सेक्स एक अच्छा उपाय है। सेक्स के समय फेरोमोंस नामक रसायन शरीर में एक प्रकार की गंध उत्पन्न करता है, जिसे आप सेक्स परफ्यूम भी कह सकते हैं। यह सेक्स परफ्यूम दिल व दिमाग को असाधारण सुख व शांति देता है। सेक्स हृदय रोग, मानसिक तनाव, रक्*तचाप और दिल के दौरे से दूर रखता है। सेक्स से दूर भागने वाले इन रोगों से अधिक पीड़ित रहते हैं।
सेक्स व्यायाम भी है:
सेक्स एक प्रकार का व्यायाम भी है। इसके लिए खास किस्म के सूट, शू या महंगी एक्सरसाइज सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है बस शयनकक्ष का दरवाजा बंद करने की। सेक्स व्यायाम शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को दूर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार की संभोग क्रिया, किसी थका देने वाले व्यायाम या तैराकी के 10-20 चक्करों से अधिक असरदार होती है। सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार मोटापा दूर करने में सेक्स काफी सहायक सिद्ध होता है। सेक्स करने से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कि चर्बी घटती है। एक बार की संभोग क्रिया में 500-1000 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। सेक्स के समय लिया गया चुंबंन भी मोटापा दूर करने में सहायक सिद्ध होता है। विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय लिए गए एक चुंबन से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। इस तरह 390 बार चुंबन लेने से आधा किलो वजन घट सकता है।
दर्दो की अचूक दवा:
आह, उह, आउच, कमर दर्द, पीठ दर्द से परेशान पत्*नी आज नहीं, अभी नहीं करती है, लेकिन यदि वह बिना किसी भय के पति के साथ संभोग क्रिया में शामिल हो जाए तो उसके दर्द को उड़न-छू होने में देर नहीं लगती। सिरदर्द, माइग्रेन, दिमाग की नसों में सिकुड़न, उन्माद, हिस्टीरिया आदि का सेक्स एक सफल इलाज है। अनिद्रा की बीमारी में बिस्तर पर करवट बदलने या बालकनी में रातभर टहलने के बजाय बेड पर बगल में लेटी या लेटे साथी से सेक्स की पहल करें, फिर देखें कि खर्राटे आने में ज्यादा देर नहीं लगती। नियमित रूप से संभोग क्रिया में पति को सहयोग देने वाली पत्*नी माहवारी के विकारों से दूर रहती है। रात्रि के अंतिम पहर में किया गया सेक्स दिनभर के लिए तरोताजा कर देता है।
सेक्स को सिर्फ यौन संबंध बनाने तक ही सीमित न रखें। इसमें अपनी दिनचर्या की छोटी-छोटी बातें, हंसी-मजाक, स्पर्श, आलिंगन, चुंबंन आदि को भी शामिल करें, संभोग क्रिया तभी पूर्ण मानी जाएगी। सेक्स के बारे में यह बात ध्यान रखें कि अपनी पत्*नी के साथ या पति के साथ किया गया सेक्स स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखता है। इस प्रसंग में यह बात विशेष ध्यान देने योग्य है कि जहां विवाहित जीवन में पत्*नी के साथ संभोग क्रिया अनेक तरह से लाभप्रद है, वहीं अवैध रूप से बनाए गए सेक्स संबंधों से अनिद्रा, हृदय रोग, मानसिक विकार, ठंडापन, सिफलिस, सूजाक, गनोरिया, एड्स जैसे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो सकती है।

महिला का चरम आनंद


यह कोई आसन या स्थिति नहीं है जिसे अपनाकर गर्भधारण को आसान बनाया जाए, बल्कि यह इंटरकोर्स के दौरान होने वाली क्रिया है। इसमें महिला को चरमोत्कर्ष तक पहुंचना होता है। शोध कहते हैं कि यदि महिला इंटरकोर्स के दौरान चरमोत्कर्ष पर पहुंचती है और उसी समय पुरुष के स्पर्म बाहर आते हैं तो महिला का यह चरमोत्कर्ष पुरुष के स्पर्म को गर्भ की ओर धकेलने का काम करता है। ऐसा होने पर गर्भधारण सबसे आसान होता है।

महिलाओं के कामुक अंग


कान
कानों के चारों ओर चैतन्य नसों का जमावड़ा होता है, जो कान को उत्तेजना के प्रति अतिरिक्त चैतन्य बनाती हैं. अपनी उंगलियों से उन्हें हल्के से सहलाइए या खींचिये, कान के पीछे की ओर चूमे और कान के निचले गुद्देदार हिस्से को हल्के से काटे. इससे महिलाओं में उत्तेजना पूर्ण सनसनाहट का संचार होता है. कई महिलाएं अपने कान में जीभ फेरना पसंद नहीं करती लेकिन सौम्य तरीके से कान के चारों ओर जीभ घुमाना भी उनमें उत्तेजना का संचार करता है.
होंठ
चूमना… किसी महिला के लिए एक बड़ा टर्निंग प्वांइट होता है. जब रिलेशन बन रहे होते हैं तो किस(kiss) ऐसी पहली चीज होती है सर्वप्रथम अस्वीकार की जाती है, लेकिन इसमें देर नहीं करना चाहिये. होंठ उत्तेजक नसों से लबालब भरे होते हैं. इन्हें तुरंत सीधे तौर पर इसलिए जीभ में नहीं डुबाना चाहिये. आपकी किस द्वारा सौम्यता से कामुकता में तीव्रता से परिवर्तन होता है. सबसे पहले उसके निचले होंठो पर अपनी जीभ फेरें फिर उसे अपने होंठों के बीच फंसाकर चूसे साथ ही उसे भी ऐसा करने दें. जब आप उसे किस कर रहें हो तो अपने हाथ उसकी गर्दन पर रखे या फिर उसकी कमर या नितंबों पर या फिर इस दौरान उसके इन सभी जगहों पर हाथ फेर सकते हैं यह दिखाने के लिये कि आप उससे कितना कुछ चाहते हैं.
गर्दन
इसे चूमना, चाटना, सौम्य तरीके से काटना और हल्के से थपथपाना उसको सिसकने के मजबूर कर देता है. लेकिन यहां जोर से नहीं काटना चाहिये क्योंकि यहां की त्वचा ब्रेक हो सकती है.
कंधे
गर्दन की तरह- कई महिलाएं कंधों को चूमने और आलिंगन करने से काफी उत्तेजना का अनुभव करती हैं. पूर्व की तरह जो प्रक्रिया गर्दन में कर रहे हैं वही करते हुए कंधों तक आएं ताकि उस पता चल सके कि आप कितने सेन्सुअल लवर हैं.
कोहनी
कोहनी के अंदर की ओर चूमने से महिलाओं में हल्की उत्तेजना का संचार होता है. कोहने के अंदर की ओर की त्वचा कोमल होती है, इस जगह हल्के से काटते हुए किस करते चले जाएं. देखें इससे उसे कैसे आनंद की अनुभूति होती है.
अंगुलियां
महिलाओं की उंगलियां भी काफी उत्तेजक होती हैं लेकिन ज्यादातर लोग इस ओर ध्यान नहीं देते. उंगलियों के पोरों को हल्के-हल्के सहलाते हुए दबाने से महिलाओं में तीव्र उत्तेजना का संचार होता है. साथ ही जैसे-जैसे उत्तेजना बढ़ती जाती है आपको उसकी उंगलियों को अपने होंठों के बीच ले जाना चाहिए फिर होंठो से सहलाते हुए धीरे धीरे चूसना चाहिए. इस क्रिया से वह नशे की सी स्थिति में आ जाएगी. यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि उंगलियों में सर्वाधिक कामुक बिन्दु उसके पोर होते हैं.
स्तन
स्तन महिला के सेक्सुअल और कामुक अंगों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. यह महिलाओं में सेक्सुअल आकांक्षा के साथ सेक्सुअल उत्तेजना जागृत करने में सहायक होता है साथ ही सेक्सुअल उत्तेजना के लिये अत्यंत संवेदनशील होता है. परन्तु इसके लिए सीधे छलांग नहीं लगा देनी चाहिये. आप अपने रास्ते उसके शरीर में नीचे की ओर जाते जाएं व उन्हें सहलाते रहे लेकिन स्तनों को तब तक न छुएं जब तक कि आपको यह न पता चल जाए कि वह स्वयं चाह रही है कि आप उसके स्तनों को छुएं. शुरुआती दौर में उनके साथ सौम्य तरीके से पेश आएं. इसके लिये शुरुआत किनारे से करें, फिर केन्द्रीभूत तरीके से गोल घेरे में अपनी उंगलियां उसके स्तनों के चारों ओर घूमाएं, ऐसा तब तक करें कि जब तक कि स्तनों के निप्पल के चारों ओर के गुलाबी या भूरे रंग के गोल घेरे तक न पहुंच जाएं, यहां कुछ देर तक उंगलियां फिराने के बाद निप्पल तक पहुंचना चाहिए. अब आप तो निप्पल को सहलाते हुए थपथपाएं, खींचे, दबाएं, चूमे और चूसे. इस दौरान आप चाहें तो सौम्य तरीके से हल्के से दांतो से काट सकते हैं. जब आप का मुंह एक स्तन पर है तो इस दौरान आपका हाथ दूसरे स्तन पर खेलना चाहिए तभी वह सब कुछ सौंपने को आतुर होगी. इसके पश्चात स्तन बदल कर यही क्रिया दोहराएं. फिर दोनों हाथों से स्तनों को जम कर दबाना चाहिये साथ ही बीच में अपने पार्टनर से पूछें कि उसे स्तनों में कौन सी क्रिया आनंददायी लगती है. कभी भी पार्टनर की इच्छाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिये. स्तनों के बीच की हिस्सा कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है जबकि यह भी कामुक क्षेत्र होता है.
पीठ
शुरुआत हल्के तरीके से सहलाने से करें. इसके लिए कंधों के निचले हिस्से से शुरू करें फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर आती जायें(इस दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधे छूने से बचे यह खतरनाक हो सकता है). इस दौरान पीठ पर मिले जुले कभी हल्के कभी तेज थपथपाहट करनी चाहिये. इसे और बेहतर बनाने के लिये टेलकम पावडर या तेल का प्रयोग कर सकते हैं. यहां यह ध्यान दें कि उसकी पीठ के किस हिस्से में टच करने पर ज्यादा उत्तेजना का संचार होता हैं इसके लिये आप चाहें तो अपने पार्टनर से पूछ सकते हैं. फिर उसकी पीठ के मध्य में रीढ़ की हड्डी के उपर बने नालीदार हिस्से पर हल्के हाथ से उंगलियां फिराते हुए नीचे की ओर नितंबों तक आना चाहिये यह क्रिया चाहें तो कई बार दोहरा सकते हैं. ऐसा करने से उसे आराम की अनुभूति तो होगी ही, साथ ही इससे रक्त का संचार उसके पेल्विक क्षेत्र की ओर होने लगता है- इससे उसकी उत्तेजना चरम की ओर पहुंचने लगती है. उसकी पीठ के निचले हिस्से में या ठीक नितंब के उपर बने गङ्ढे (dimple) भी उत्तेजक अंग होते हैं. उसकी रीढ़ के समानान्तर ऊपर से नीचे की ओर(top to the bottom) जीभ फेरने पर उसके उत्तेजना की आग सुलग उठती है.
नितंब या कूल्हे
कई महिलाएं अपने नितंबों को जोर से दबाना या तेज दबाव की मालिश पसंद करती हैं. आप यहां पर शरीर के अन्य अंगों की अपेक्षा ज्यादा दबाव दे सकते हैं. कुछ महिलाएं नितंब पर हल्के थप्पड़ो का प्रहार पसंद करती हैं- किन्तु ऐसा करने से पहले अपने पार्टनर से पूछ लें.इस मामले को जोर का दबाव या थपथपाहट मजाक का विषय नहीं बनाना चाहिये – क्योंकि कई महिलाएं अपने नितंब के आकार को लेकर काफी आशंकित रहती हैं.
मोन्स
जैसे ही आप भग क्षेत्र या बाह्य जननेन्द्रियों (genital area) को पाते हैं, तो उसमें छलांग लगाना काफी सरल होता है लेकिन उसके पहले भगशिश्न के उपर स्थित उस गुद्देदार क्षेत्र को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो रोमों (pubic hair) से घिरा होता है. इसे थपथपाना और रगड़ना उसे सिसकने को मजबूर कर देगा वहीं रोमों को(यदि हैं तो) उंगलियों में फंसाकर हल्के से खींचने पर उसे मीठे दर्द की अनुभूति होती है जो उसमें उत्तेजना का संचार करती है.
भगशिश्न
यह महिलाओं का सबसे कामुक अंग होता है. भगशिश्न को आसानी से खोजा जा सकता है. यह भगोष्ठ (vaginal lips) के उपर की ओर उभरा हुआ हिस्सा होता है. यह उत्तेजक उत्तकों से बना हुआ होता है और इसका काम पुरुषों को शिश्न मुण्ड की ही तरह होता है. उत्तेजना के दौरान यह रक्त से भरा रहता है. कुछ महिलाओं का भगशिश्न इतना सेन्सटिव होता है कि कई बार परेशानी का सबब भी बन जाता हैं क्योंकि हल्की सी छुअन भी उसमें उत्तेजना भर देती है. इस तरह की स्थितियों में इसे सीधे न छूकर इसके किनारों से स्पर्श करना चाहिए और उस नीचे (base) से उत्तेजित करना चाहिये. कुछ महिलाएं जैसे-जैसे उत्तेजित होती जाती हैं वैसे-वैसे वे अपने भगशिश्न में ज्यादा दबाव चाहती हैं. लेकिन भगशिश्न में दबाव व स्पर्श के लिये पार्टनर से पूछ कर ही हरकत करना चाहिये. यदि आप मुखमैथुन कर रहें हैं तो भगशिश्न तक किनारे से पहुंचे. इस तरीके से उसे ज्यादा आनंद आएगा.
योनि
योनि वह दूसरा क्षेत्र है जहां कई आदमी स्तनों को उत्तेजित करने के बाद सीधे पहुंच जाते हैं. जब आप वहां पहुंच जाएं तो उसके बाहर रुके, तब आपको काफी पसंदीदा तरीके से अंदर के लिये वेलकम किया जाएगा. जैसे ही महिला उत्तेजित होती है उसका गर्भद्वार उपर की ओर खिसक जाता है जिससे योनि की
गहराई बढ़ जाती है और आपको गहरे तक प्रवेश का आनंद मिलता है. इस लिए यह आपकी पसंद का मामला है कि आप उसे कितना गीला कर सकते हैं. जितना समय यहां दिया जाएगा उतना ही आनंद आपको लिंग प्रवेश पर मिलेगा.
जी-स्पॉट
योनि की गहराई के एक तिहाई रास्ते पर यह क्षेत्र योनि की बाहरी दीवार पर (आमाशय या पेट के सामने न कि गुदा की ओर ) एक स्पंजी क्षेत्र पाया जाता है यह लगभग मुंह के उपरी हिस्से की तरह होता है जब जीभ से छुआ जाता है. यदि इस जगह पर लगातार उंगली चलाई जाती है तो कई महिलाएं काफी मात्रा में पानी छोड़ती है. पानी की यह धार काफी तेज भी होती है. वहीं कुछ महिलाओं को ऐसा अनुभव होता है कि मानों उन्हें पेशाब जाना हो, तो कई को कुछ और ही अनुभूति होती है. कुल मिला कर जी-स्पाट उत्तेजना के महिलाओं में अलग-अलग अनुभव होते हैं. इसलिए अपने पार्टनर से पूछिये कि उसे क्या अनुभूति हो रही है और उसे कैसा लग रहा है.

महिलाओं में सेक्स के लाभ


महिलाएं सेक्‍स के दौरान न सिर्फ आंनद का अनुभव करती है बल्कि सेक्‍स से उन्‍हे कई प्रकार के शारीरिक और भावनात्‍मक लाभ भी होते है, सेक्‍स से महिलाओं के शारीरिक सरंचना में भी परिर्वतन आता है। सेक्‍स के दौरान अपने पार्टनर द्वारा मिले शारीरिक और भावनात्‍मक सर्पोट से महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है। यूं तो महिलाओं में हमेशा सेक्‍स की चाहत होती है, लेकिन मासिक पूरा हो जाने के पांच से सात दिन तक महिलाएं सेक्स के मूड में ज्यादा होती हैं क्योंकि मासिक चक्र पूरा होने के बाद सेक्स वाले हार्मोस सक्रिय हो जाते हैं। महावारी के पांच से सात दिन में सेक्स करना ज्यादा ही आनंद की अनुभूति कराता है साथ ही इसका लाभ कम से कम 12 दिनों तक रहता है। महावारी के बाद महिलाओं में सेक्स की तीव्र इच्छा जागृत होना स्वाभाविक है, क्योंकि इन दिनों में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती। वैसे तो यह शारीरिक जरूरत का एक आम हिस्‍सा है। सेक्स वैवाहिक संबंधों को सुखी बनाता है और भविष्य में दोनों के बीच सेक्स को लेकर दूरियां कभी नहीं आती।

सेक्स में छिपे हैं स्वास्थ्य के सूत्र


अनुसंधानों द्वारा यह साबित हो चुका है कि सेक्स स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह अनेक बीमारियों का ऐसा इलाज है जो न सिर्फ आनंददायक है वरन उत्साहवर्धक भी है। इससे विभिन्न तरीकों से लाभ पहुंच सकता है।
आयु बढ़ती है:
जो लोग नियमित रूप से सहवास करते हैं और जिनके मन में इसको लेकर किसी तरह की आशंकाएं नहीं हैं, वे उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा लंबी आयु पाते हैं जो महीने में एक बार सेक्स क्रिया करते हैं।
युवा लगते हैं:
ऐसे दंपति जो हफ्ते में तीन बार सेक्स क्रिया करते हैं, वे उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा युवा लगते हैं जो कभी-कभी इसे करते हैं या बिलकुल ही नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रक्रिया में जो ऊर्जा लगती है उससे ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, रक्त प्रवाह का संचार त्वचा में प्रवाहित होता है और त्वचा की नई कोशिकाएं बनती हैं। इससे त्वचा में एक आभा उत्पन्न होती है, वह चमकने लगता है। इसके अतिरिक्त ऐसी महिलाएं जिनको मेनोपॉज हो चुका है अगर सहवास क्रिया करती रहती हैं, उन्हें गर्मी या पसीना आने की शिकायत नहीं रहती है। न ही ऐसी महिलाओं पर आयु का ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
मजबूत होती हैं हड्डियां:
'इंक्रीज योर सेक्स ड्राइव' के लेखक डॉ. सराह ब्रीवर के अनुसार, 'नियमित रूप से सहवास करने से एस्ट्रोजन लेवल बढ़ जाता है जिससे महिलाएं ओस्टियोपॉरिसिस या हड्डियों के रोग से पीडि़त नहीं होती हैं।'
सुखद नींद:
सेक्स के दौरान ऑक्सीटॉसिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिसका इतना सुखद असर पड़ता है कि आप चैन की नींद सो जाती हैं। पुरुषों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है इसीलिए वे सहवास क्रिया के बाद बात करने के बजाय सोना पसंद करते हैं।
 तनाव खत्म हो जाता है:
सेक्स क्रिया के दौरान एंड्रोफस नामक एक हार्मोन शरीर से निकलता है जिसके कारण आप तनावमुक्त महसूस करती हैं। उस दौरान फिनीलेथलमाइन रसायन का स्त्राव होता है जिससे स्वस्थ होने की भावना उत्पन्न होती है। प्यार भरे रिश्ते में की गई सहवास क्रिया मन में एक उत्साह भर देती है कि कोई आपको प्यार करता है, आपकी परवाह करता है। आप ज्यादा समय खुश रहती हैं। खुशी ही तनावमुक्त रहने का सबसे कारगर उपाय है। मैक्स हेल्थ केयर सेंटर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलांजना के अनुसार, 'सेक्स के दौरान चूंकि एक निश्चिंतता होती है इसलिए पति-पत्‍‌नी दोनों ही तनावमुक्त महसूस करते हैं। हृदय गति बढ़ने से शरीर और मन में एक स्फूर्ति महसूस होती है।'
दर्द निवारक:
एंड्रोफिंस हार्मोन प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में कार्य करता है। बढ़ते हुए एस्ट्रोजन स्तर से प्री-मेन्सट्रुअल सिंड्रोम और मासिक स्त्राव के समय होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। इससे अनियमित मासिक चक्र भी नियमित हो जाता है। अध्ययनों से पता लगा है कि सहवास करने से आर्थराइटिस से पीडि़त महिलाओं को भी आराम मिलता है। इससे होने वाली अनुभूति से सिरदर्द और माइग्रेन तक दूर हो जाता है। इसलिए अगली बार सिरदर्द होने का बहाना बनाकर इससे बचने की कोशिश न करें। सर्दी-जुखाम भी इससे दूर हो जाता है।
शक्ति बढ़ती है:
ऑर्गेज्म के दौरान ताजा खून सारे शरीर में फैल जाता है, यहां तक कि दिमाग में भी। इससे उस क्षेत्र में रक्त संचार बढ़ जाता है। सर्वेक्षणों से पता चला है कि इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ने से वह ज्यादा कठिन काम कर सकता है। विभिन्न हार्मोन मानसिक शक्ति में बढ़ोतरी करते हैं।
व्यायाम भी है:
एक तरफ जहां व्यायाम करने से आपके सेक्स जीवन में सुधार आता है वहीं यह खुद एक प्रभावशाली व्यायाम है। सेक्स मांसपेशियों की टोनिंग करने में मदद करता है। तीस मिनट की सेक्स प्रक्रिया के दौरान एक आम व्यक्ति की करीब दो सौ कैलोरी खर्च होती हैं। यानी अगर आप प्रतिदिन इसे करते हैं तो हर दो हफ्ते बाद आपका आधा किलो वजन घट सकता है। अगर आप एक साल तक हफ्ते में तीन बार इसे करते हैं तो यह दो सौ किलोमीटर दौड़ने के बराबर होता है।
हृदय रोग से बचाव:
हृदय रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि हफ्ते में तीन बार कम से कम बीस मिनट तक सेक्स क्रिया करने से हार्ट अटैक होने का खतरा कम हो जाता है। इससे हृदय गति में भी सुधार होता है। अपोलो अस्पताल की मनोवैज्ञानिक डॉ. एकता सोनी के अनुसार, 'जब मानसिक स्थिति ठीक रहती है तो व्यक्ति सकारात्मक दिशा में सोचता है। पति-पत्‍‌नी को जब यह महसूस होता है कि दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है तो वे डिप्रेशन के शिकार नहीं होते। इससे निजी संबंध भी पुख्ता होते हैं।'
सैक्स फीलगुड का अहसास कराए
सेक्स  सामान्य तंदुरूस्ती को बढ़ाता है और आपके आत्मविश्वास के स्तर को बढ़ा देता है। निरर्थक सेक्स प्यार भरे सेक्स  की तरह कारगर नहीं होता। अध्ययनों से पता चला है कि शादीशुदा या एक दूसरे के प्रति वफादार जोड़े बेहतर संतु‍ष्ट जीवन बिताते हैं। आपसी वफादारी और घनिष्ठता से आपको भावनात्मक सुरक्षा का अहसास होता है और आंतरिक खुशियां मिलती हैं। प्यार भरे इन क्षणों के दौरान आपको अपने साथी के लिए प्यार और महत्वपूर्ण होने का अहसास आपकी आत्म-प्रतिष्ठा को भी बढ़ा देता है।
सेक्स-एक रिश्ते मज़बूत बनाने वाला अनुभव
आपको प्यार करने वाले जोड़ीदार (पार्टनर) की निकटता और चरमसुख की ओर बढ़ने का आनंद दोनों मिलकर "प्यार के हॉर्मोन" ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ा देते हैं जिससे आपसी सम्बन्ध और रिश्ते मज़बूत होते हैं। अच्छे  सेक्स से लम्बे समय के रिश्तों में महबूती आती हैं ।

श्वेत प्रदर


(1)  एक ज्यादा पका केला पूरे एक चम्मच देशी घी के साथ खाएं। १५ दिन में फ़र्क नजर आएगा। एक महीना प्रयोग करें।

(2)  आंवला बीज का पावडर बनालें एक चम्मच पावडर शहद और सौंफ के साथ प्रातःकाल लें।

(3) बेल फल का गूदा उपयोगी सिद्ध हुआ है।

(4) पाँव भर दूध में इतना ही पानी तथा एक चम्मच सुखा अदरक डालकर उबालें जब आधा रह जाय तो इसमें एक चम्मच शहद घोलकर पीयें बहुत गुणकारी है।

(5) आयुर्वेदिक औषधि अशोकारिष्ट इस रोग में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होती है प्रदरान्तक चूर्ण का भी व्यवहार किया जाता है ।

(6) भोजन में दही और लहसुन का प्रचुर प्रयोग लाभकारी होता है बाहरी प्रयोग के लिए लहसुन की एक कली को बारीक कपडे में लपेटकर रात को योनी के अंदर रखें कीटाणु नाशक है ,इसी प्रकार दही को योनी के   भीतर बाहर लगाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।

(7) १० ग्राम मेथी बीज पाव भर पानी में उबालें आधा रह जाने पर गरम गरम दिन में २ बार पीना उपादेय है।

(8) छाछ ३-४ गिलास रोज पीना चाहिए इससे योनी में बेक्टीरिया और फंगस का सही संतुलन बना रहता है

(9) गुप्त अंग को निम्बू मिले पानी से धोना भी एक अच्छा उपाय है फिटकरी का पावडर पानी में पेस्ट बनाकर योनी पर लगाने से खुजली और रक्तिमा में फायदा होता है।

(10) शतावर का चूर्ण बनाकर शहद के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर दूर हो जाता है।

लिंग का ढीलापन और शीघ्रपतन


*  कौंच के बीज, सफेद मूसली और अश्वगंधा के बीजों को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण में से एक चम्मच चूर्ण सुबह और शाम दूध के साथ लेने से लिंग का ढीलापन, शीघ्रपतन और वीर्य की कमी होना जैसे रोग जल्दी दूर हो जाते हैं।
*  मूसली के लगभग 10 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम गाय के दूध में मिलाकर अच्छी तरह से उबालकर किसी मिट्टी के बर्तन में रख दें। इस दूध में रोजाना सुबह और शाम पिसी हुई मिश्री मिलाकर सेवन करने से लिंग का ढीलापन, शीघ्रपतन और संभोग क्रिया की इच्छा न करना, वीर्य की कमी होना आदि रोगों में बहुत लाभ मिलता है।
*  कौंच को कपिकच्छू और कैवांच आदि के नामों से भी जाना जाता है। संभोग करने की शक्ति को बढ़ाने के लिए इसके बीज बहुत लाभकारी रहते हैं। इसके बीजों का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोत्तरी होती है, संभोग करने की इच्छा तेज होती है और शीघ्रपतन रोग में लाभ होता है। इसके बीजों का उपयोग करने के लिए बीजों को दूध या पानी में उबालकर उनके ऊपर का छिलका हटा देना चाहिए। इसके बाद बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लेना चाहिए। इस चूर्ण को लगभग 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम मिश्री के साथ दूध में मिलाकर सेवन करने से लिंग का ढीलापन और शीघ्रपतन का रोग दूर होता है।
* एक किलो इमली के बीजों को तीन-चार दिनों तक पानी में भीगे पड़े रहने दें। इसके पश्चात उन बीजों को पानी से निकालकर और छिलके उतारकर ठीक तरह से पीस लें। इसमें इससे दो गुना पुराने गुड़ को मिलाकर इसे आटे की तरह गूंथ लें। फिर इसकी बेर के बराबर गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया करने के दो घंटे पहले इसे दूध के साथ इस्तेमाल करें। इस तरह का उपाय सेक्स करने की ताकत को और अधिक मजबूत बनाता है।
 * शतावरी, गोखरू, तालमखाना, कौंच के बीज, अतिबला और नागबला को एकसाथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ रोजाना सेवन करने से स्तंभन शक्ति तेज होती है और शीघ्रपतन के रोग में लाभ होता है। रात को संभोग क्रिया करने से 1 घंटा पहले इस चूर्ण को गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से संभोग क्रिया सफलतापूर्वक संपन्न होती है। वीर्य का पतला होना, यौन-दुर्बलता और विवाह के बाद शीघ्रपतन होना जैसे रोगों में इसका सेवन बहुत लाभकारी रहता है।
* मोचरस, कौंच के बीज, शतावरी, तालमखाना को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग 400 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करने से बुढ़ापे में भी संभोग क्रिया का पूरा मजा लिया जा सकता है। इस योग को लगभग 2-3 महीने तक सेवन करना लाभकारी रहता है।
* लगभग 6 चम्मच अदरक का रस, 8 चम्मच सफेद प्याज का रस, 2 चम्मच देशी घी और 4 चम्मच शहद को एक साथ मिलाकर किसी साफ कांच के बर्तन में रख लें। इस योग को रोजाना 4 चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसको लगातार 2 महीने तक सेवन करने से स्नायविक दुर्बलता, शिथिलता, लिंग का ढीलापन, कमजोरी आदि दूर हो जाते हैं।
* बबूल की कच्ची पत्तियां, कच्ची फलियां और गोंद को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें और इनमें इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी डिब्बे आदि में रख लें। इस चूर्ण को नियमित रूप से 2 महीने तक 2-2 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से वीर्य की वृद्धि होती है और स्तंभन शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा यह योग शीघ्रपतन और स्वप्नदोष जैसै रोगों में बहुत लाभकारी रहता है।
* सफेद मूसली के चूर्ण और मुलहठी के चूर्ण को बराबर की मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम शुद्ध घी के साथ मिलाकर चाट लें और ऊपर से गर्म दूध पी लें। इस योग को नियमित सेवन करने से धातु वृद्धि होती है, नपुंसकता दूर होती है और शरीर पुष्ट और शक्तिशाली बनता है।
* 10-10 ग्राम धाय के फूल, नागबला, शतावरी, तुलसी के बीज, आंवला, तालमखाना और बोलबीज, 5-5 ग्राम अश्वगंध, जायफल और रूदन्तीफल, 20-20 ग्राम सफेद मूसली, कौंच के बीज और त्रिफला तथा 15-15 ग्राम त्रिकटु, गोखरू को एक साथ जौकुट करके चूर्ण बना लें। इसके बाद इस मिश्रण के चूर्ण को लगभग 16 गुना पानी में मिलाकर उबालने के लिए रख दें। उबलने पर जब पानी जल जाए तो इसमें 10 ग्राम भांगरे का रस मिलाकर दुबारा से उबाल लें। जब यह पानी गाढ़ा सा हो जाए तो इसे उतारकर ठंडा करके कपड़े से अच्छी तरह मसलकर छान लें और सुखाकर तथा पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 20 ग्राम शोधी हुई शिलाजीत, 1 ग्राम बसन्तकुसूमाकर रस और 5 ग्राम स्वर्ण बंग को मिला लें। इस औषधि को आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम चाटकर ऊपर से गर्म दूध पी लें। इस औषधि को सेवन करने से पुरुषों के शरीर में बल और वीर्य की बढ़ोत्तरी होती है और वह संभोगक्रिया को लंबे समय तक चला सकता है। इस औषधि के सेवन काल के दौरान खटाई, तेज मिर्च-मसाले वाले और तले हुए भोजन का सेवन करना चाहिए।
* मुलहठी के बारीक चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में घी और शहद से साथ चाटकर ऊपर से दूध पीने से संभोग शक्ति बहुत तेज होती है।
* सर्दी के मौसम में उड़द की दाल के लड्ड़ू बनाकर रोजाना सुबह के समय खाकर ऊपर से दूध पीने से शरीर में बल और वीर्य की वृद्धि होती है।
* लगभग 20 ग्राम उड़द की दाल के छिलके उतारकर रात के समय पानी में भिगों दें। सुबह इस दाल को बारीक पीसकर पिट्ठी बना लें और कड़ाही में डालकर घी के साथ गुलाबी होने तक सेक लें। इसके बाद एक दूसरे बर्तन में 250 ग्राम दूध डालकर उबाल लें। दूध के उबलने पर इसमें सिंकी हुई उड़द की दाल डालकर पका लें। पकने पर इसमें शक्कर डालकर नीचे उतार लें। इस खीर को ठंडा करके रोजाना सुबह नाश्ते के समय 2 चम्मच शहद के साथ सेवन करने से पुरुष की संभोग शक्ति बहुत ज्यादा तेज हो जाती है।
* लगभग 250 ग्राम शतावरी घृत में इतनी ही मात्रा में शक्कर, 5 ग्राम छोटी पीपल और 5 चम्मच शहद मिला लें। इस मिश्रण को 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करने से संभोग करने की शक्ति तेज हो जाती है।
* कौंच के बीज, उड़द, गेंहू, चावल, शक्कर, तालमखाना और विदारीकंद को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में दूध मिलाकर आटे की तरह गूंथ लें। इसके बाद इसकी छोटी-छोटी पूड़ियां बनाकर गाय के घी में तल लें। इन पूड़ियों को खाकर ऊपर से दूध पीने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है और संभोग करने की शक्ति तेज होती है। दिए गए द्रव्यों के देशी घी में लड़डू बनाकर सेवन करना भी बहुत लाभकारी रहता है।
* जानकारी- उड़द की दाल और कौंच के बीजों को प्रयोग में लाने से पहले उन्हें गर्म पानी या दूध में उबालकर उनके छिलके उतार लेने चाहिए।
*  दही की मलाई में उतनी ही मात्रा में वंशलोचन, कालीमिर्च, शक्कर, शहद और काली मिर्च मिला लें। इसके बाद एक मिट्टी के घड़े के मुंह पर साफ कपड़ा बांध देना चाहिए तथा उस कपड़े से दिए गए मिश्रण को छान लें। इससे मिश्रण छनकर उस घड़े के अंदर जमा हो जाएगा। इस छने हुए मिश्रण को रोजाना 2-2 चम्मच की मात्रा में घी के साथ सेवन करके ऊपर से दूध पीने से पुरुष के शरीर में ताकत आती है और संभोग शक्ति तेज होती है।
* 30 पीस छोटी पीपल को लगभग 40 ग्राम तिल के तेल या गाय के घी में भूनकर बिल्कुल पाउडर बना लें। फिर उसमें शहद और शक्कर मिलाकर दूध निकालने के बर्तन में डालकर उसी के अंदर गाय का दूध दूह लें। इस दूध को अपनी रुचि के अनुसार सेवन करें। इसको 1-1 चम्मच की मात्रा में गाय के ताजा निकले हुए दूध के साथ सेवन करने से बल और वीर्य की वृद्धि होती है।
* 100-100 ग्राम शतावरी, कौंच के बीज, उड़द, खजूर, मुनक्का दाख और सिंघाड़ा को मोटा-मोटा पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद 1 लीटर दूध में इतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर इसमें चूर्ण को भी मिला लें और हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने पर जब सिर्फ दूध बच जाए तो नीचे उतारकर छान लें। फिर इसमें लगभग 300-300 ग्राम चीनी, वंशलोचन का बारीक चूर्ण और घी मिला लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर 50 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से बल और वीर्य बढ़ता है।
* लगभग 25 ग्राम खस-खस के दाने, 25 ग्राम भुने चने, 25 ग्राम खांड और नारियल की पूरी गिरी को एक साथ कूटकर पीसकर रख लें। इस चूर्ण को रोजाना 70 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से शरीर में वीर्य और ताकत की बढ़ोत्तरी होती है।
* लौंग, अकरकरा, कबाबचीनी, ऊदस्वालिस और बीजबंद को बराबर की मात्रा में लेकर कूटकर और पीसकर छान लें। इसके बाद इस चूर्ण के वजन से 2 गुणा पुराना गुड़ लेकर लेकर इसमें मिला लें और छोटी-छोटी गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली रोजाना सुबह और शाम दूध के साथ 21 दिनों तक लेने से शरीर में बल और वीर्य की वृद्धि होती है और संभोग करने की शक्ति तेज होती है।
* 25 ग्राम पिसी-छनी हुई मुलहठी, 25 ग्राम पिसी और छनी असगंध, और 12 ग्राम पिसा और छना हुआ बिधारा को एकसाथ मिलाकर शीशी में भर लें। सर्दी के मौसम में इसमें से 3 ग्राम चूर्ण को अच्छी तरह से घुटे हुए लगभग 0.12 ग्राम मकरध्वज के साथ मिला लें। इसके बाद इसे मिश्री मिले दूध के साथ रोजाना सुबह और शाम 3-4 महीनों तक सेवन करने से संभोग शक्ति तेज होती है।
* लगभग 25-25 ग्राम सफेद बूरा, ढाक की छाल का रस, गेंहू का मैदा और शुद्ध घी को एकसाथ मिलाकर हलवा बना लें। इस हलुए को रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से शरीर मजबूत बनता है, धातु पुष्ट होती है और संभोग करते समय चरम सुख की प्राप्ति होती है।
* 10 ग्राम भैंस का घी और 10 ग्राम सितोपलादि चूर्ण को किसी कांच या मिट्टी के बर्तन में भरकर रख लें। फिर उसी बर्तन में गाय या भैंस का दूह लें तथा उस दूध को पी लें। रोजाना सुबह और शाम 3-4 महीनों तक इस दूध का सेवन करने से हर प्रकार की कमजोरी दूर हो जाती है, धातु पुष्ट हो जाता है, बल-वीर्य की बढ़ोतरी होती है, स्तंभन शक्ति बढ़ती है और संभोग शक्ति में रुचि उत्पन्न होती है।
* सफेद चीनी, ग्वारपाठे का गूदा, घी और गेंहू के मैदा को बराबर मात्रा में एकसाथ मिलाकर हलवा बनाकर खाने से 21 दिन में ही पुरुष की नपुंसकता दूर हो जाती है।
* 25-25 ग्राम केसर, पीपल, जायफल, जावित्री, अकरकरा, सोंठ, लोंग और लाल चंदन, 6 ग्राम शुद्ध हिंगुल, 6 ग्राम शुद्ध गंधक और 90 ग्राम अफीम को ले लें। इन सारी औषधियों को कूटकर और छानकर लगभग 20-20 ग्राम की मात्रा में रख लें। फिर सबको एकसाथ मिलाकर हिंगुल, गंधक और अफीम के साथ खरल में डालकर पानी मिलाकर घोट लें। इसके पूरी तरह से घुट जाने पर 0.36 ग्राम और 0.36 ग्राम की गोलियां बना लें। यह एक गोली रोजाना सोने से पहले खाकर ऊपर से दूध पीने से संभोग करने की शक्ति तेज होती है और स्तंभन शक्ति बढ़ती है।
* सूखे बिदारीकंद को पीसकर उसमें ताजी बिदारीकंद के रस की 7 भावनाएं देकर उसमें मिश्री तथा शहद मिलाकर लगभग 20 ग्राम की मात्रा में नियमित रूप से 3 महीने तक सुबह के समय सेवन करने से बूढ़े लोग भी अपने शरीर में जवानों जैसी ताकत महसूस करते हैं।
* कुलंजन, सोंठ, मिश्री, अंजीर के बीज, गाजर के बीज, जरजीह के बीज और टिलयुन के बीजों को बराबर मात्रा में मिलाकर कूटकर और पीसकर छान लें। इसके बाद शहद और सफेद प्याज के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर किसी कलईदार बर्तन में भरकर हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। जब प्याज का रस जल जाए और सिर्फ शहद ही बाकी रह जाए तो इसमें पहले बताई गई औषधियों का तैयार किया हुआ चूर्ण मिला लें। इस मिश्रण को अपनी ताकत के अनुसार सेवन करने से संभोग करने की शक्ति और संभोग करने में रुचि बढ़ती है।
* लगभग 10-10 ग्राम जायफल, काला अनार, रुमी मस्तंगी, खस की जड़, बालछड़, दालचीनी, बबूल और शहद, 1 ग्राम कस्तूरी, 9 ग्राम सालममिश्री और 125 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह और शाम 3-4 महीने तक सेवन करने से संभोग करने की शक्ति तेज हो जाती है।
* सूखे आंवलों को अच्छी तरह से कूटकर और पीसकर छान लें। इस चूर्ण में ताजे आंवलों के ताजा रस को उबालकर और सुखाकर किसी कांच की शीशी में भर लें। इस मिश्रण में शहद और मिश्री मिलाकर अपनी ताकत के अनुसार 3 महीने तक खाने से बूढ़े लोगों के शरीर में भी जवानों के जैसी संभोग करने की ताकत आ जाती है।
* तालमखाना, समुंद्रशोष, ढाक का गोंद, बीजबंद, बड़े गोखरू, तज और सफेद मूसली को एक साथ मिलाकर कूटकर और पीसकर छान लें। इसके बाद इस चूर्ण के बराबर ही इसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को रोजाना सुबह 6 ग्राम की मात्रा में फांककर उसके ऊपर से गाय का धार वाला ताजा दूध पीने से शरीर में ताकत और वीर्य की बढ़ोतरी होती है

लिंग वृद्धि व् ताक़त के लिए लेप


*  शतावर, असगंधा, कूठ, जटामांसी और कटेहली के फल को 4 गुने दूध में मिलाकर या तेल में पकाकर लेप करने से लिंग मोटा होता है और लिंग की लम्बाई भी बढ़ जाती है।

*  कूटकटेरी, असगंध, वच और शतावरी को तिल के तेल में जला कर लिंग पर लेप करने से लिंग में वृद्धि होती है

*  असगंध चूर्ण को चमेली के तेल के साथ खूब मिलाकर लिंग पर लगाने से लिंग मज़बूत हो जाता है
*  एक लौंग को चबाकर उसकी लार को लिंग के पिछले भाग पर लगाने से संभोग करने की शक्ति तेज हो जाती है।
*  सुखा जौ पीस कर तिल के तेल में मिला कर लिंग पर लगाने से सारे दोष दूर हो जाते हैं
*  20 ग्राम लोंग को 50 ग्राम तिल के तेल में जला कर मालिश करने से लिंग में मजबूती आती है
* सुअर की चर्बी और शहद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करने से लिंग में मजबूती आती है।
* हींग को देशी घी में मिलाकर लिंग पर लगा लें और ऊपर से सूती कपड़ा बांध दें। इससे कुछ ही दिनों में लिंग मजबूत हो जाता है।
* भुने हुए सुहागे को शहद के साथ पीसकर लिंग पर लेप करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है।
* जायफल को भैंस के दूध में पीसकर लिंग पर लेप करने के बाद ऊपर से पान का पत्ता बांधकर सो जाएं। सुबह इस पत्ते को खोलकर लिंग को गर्म पानी से धो लें। इस क्रिया को लगभग 3 सप्ताह करने से लिंग पुष्ट हो जाता है।
* शहद को बेलपत्र के रस में मिलाकर लेप करने से हस्तमैथुन के कारण होने वाले विकार दूर हो जाते हैं और लिंग मजबूत हो जाता है।
* रीठे की छाल और अकरकरा को बराबर मात्रा में लेकर शराब में मिलाकर खरल कर लें। इसके बाद लिंग के आगे के भाग को छोड़कर लेप करके ऊपर से ताजा साबुत पान का पत्ता बांधकर कच्चे धागे से बांध दें। इस क्रिया को नियमित रूप से करने से लिंग मजबूत हो जाता है।
* बकरी के घी को लिंग पर लगाने से लिंग मजबूत होता है और उसमें उत्तेजना आती है।
* बेल के ताजे पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर लगाने से लिंग में ताकत पैदा हो जाती है।
* धतूरा, कपूर, शहद और पारे को बराबर मात्रा में मिलाकर और बारीक पीसकर इसके लेप को लिंग के आगे के भाग (सुपारी) को छोड़कर बाकी भाग पर लेप करने से संभोग शक्ति तेज हो जाती है।
* असगंध, मक्खन और बड़ी भटकटैया के पके हुए फल और ढाक के पत्ते का रस, इनमें से किसी भी एक चीज का प्रयोग लिंग पर करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली बनता है।
* पालथ लंगी का तेल, सांडे का तेल़, वीर बहूटी का तेल, मोर की चर्बी, रीछ की चर्बी, दालचीनी का तेल़, आधा भाग लौंग का तेल, 4 भाग मछली का तेल को एकसाथ मिलाकर कांच के चौड़े मुंह में भरकर रख लें। इसमें से 8 से 10 बूंदों को लिंग पर लगाकर ऊपर से पान के पत्ते को गर्म करके बांध लें। इस क्रिया को लगातार 1 महीने तक करने से लिंग का ढीलापन समाप्त हो जाता है़, लिंग मजबूत बनता है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
* हीरा हींग को शुद्ध शहद में मिलाकर लिंग पर लेप करने से शीघ्रपतन का रोग जल्दी दूर हो जाता है। लिंग पर इस मलहम अर्थात लेप को लगाने के बाद शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी अपनी मर्जी से स्त्री के साथ संभोग करने का समय बढ़ा सकता है।
* 10 ग्राम दालचीनी का तेल और 30 ग्राम जैतून के तेल को एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करते रहने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है, संभोग करने की शक्ति बढ़ती है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
* काले धतूरे की पत्तियों के रस को टखनों पर लगाकर सूखने के बाद संभोग करने से संभोगक्रिया पूरी तरह से और संतुष्टि के साथ संपन्न होती है।

योनि संकोचन


पति सहवास में अति करने, अप्राकृतिक एवं असुविधापूर्ण आसनों में अति वेग के साथ सहवास करने, अति प्रसव करने और शरीर के कमजोर एवं शिथिल होने के कारण स्त्रियों का योनि मार्ग ढीला, पोला और विस्तीर्ण हो जाता है, जिससे सहवास करते समय सुख एवं आनन्द की अनुभूति नहीं होती।

ऐसी स्थिति में प्रायः पति लोग सहवास क्रिया में रुचि नहीं ले पाते और कोई-कोई पति परस्त्रीगमन की ओर उन्मुख हो जाते हैं। विलासी एवं रसिक स्वभाव के पति घर की सुन्दर नौकरानियों से ही यौन संबंध कायम कर लेते हैं। इस व्याधि को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय उपयोगी एवं कारामद सिद्ध हुए हैं।

चिकित्सा
(1) भांग को कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को 5-6 ग्राम (एक छोटा चम्मचभर) मात्रा में, एक महीन मलमल के साफ सफेद कपड़े पर रखकर छोटी सी पोटली बनाकर मजबूत धागे से बांध दें। धागा लम्बा रखें, ताकि धागे को खींचकर पोटली बाहर खींची जा सके। रात को सोते समय इस पोटली को पानी में डुबोकर गीली कर लें एवं योनि मार्ग में अन्दर तक सरकाकर रख लें और सुबह निकालकर फेंक दें। लाभ न होने तक यह प्रयोग जारी रखें।

(2) माजूफल का चूर्ण 100 ग्राम मोचरस का चूर्ण 50 ग्राम और लाल फिटकरी 25 ग्राम। सबको कूट-पीसकर मिलाकर रखें। पहले 20 ग्राम खड़े मूंग 3 कप पानी में खूब उबालें और बाद में छानकर इस पानी से डूश करें। एक रूई का बड़ा फाहा पानी में गीला कर निचोड़ लें और इस पर ऊपर बताया चूर्ण बुरककर यह फाहा सोते समय योनि में रखें। इन दोनों में से कोई एक प्रयोग कुछ दिन तक करने से योनि तंग और सुदृढ़ हो जाती है।

(3) शंखचालनी मुद्रा तथा मूलबंध का अभ्यास करना और मूत्र विसर्जन करते समय रोक-रोककर पेशाब करना, ये तीन उपाय योनि को चुस्त-दुरुस्त, सशक्त और संकीर्ण बनाते हैं। नियमित रूप से थोड़ी देर वज्रासन पर बैठकर शंखचालनी मुद्रा व मूलबंध लगाने का अभ्यास करना चाहिए।

(4) श्रोणितल की पेशियों में कमजोरी आने से योनि में कसाव कम हो जाता है और ढीलापनमहसूस होने लगता है. योनि की पेशियां चुस्त दुरुस्त बनाने से योनि का ढीलापन दूर किया जा सकता है और चरम योनसुख की आनंदानुभूति जागृत की जा सकती है. इसके लिये एक साधारण सा व्यायाम है जिससे प्यूबोकाक्सीजियस पेशी मजबूत होती जाती है. जिससे योनि का ढ़ीलापन दूर होता जाता है.इस व्यायाम को कहीं भी , कभी भी और किसी भी मुद्रा में किया जा सकता है. इसके लिये करना यह होता है कि मूत्र प्रवाह रोकने वाली पेशी को अंदर की ओर ठीक वैसे भींचे जैसे कि मूत्र के वेग को रोक रही हों. अगले तीन सेकेण्ड तक प्यूबोकाक्सीजियस पेशी को इसी प्रकार अंदर ही अंदर भींचे रखें. फिर अगले 3 सेकेण्ड के लिये शरीर को ढीला छोड़ दें. अब एक बार फिर प्यूबोकाक्सीजियस पेशी को 3 सेकेण्ड तक अंदर भींचे. फिर 3 सेकेण्ड के लिये पेशी को ढीला छोड़ दें. यह व्यायाम 10-10 बार सुबह शाम करें और फिर बढ़ाते हुए 25-25बार सुबह और शाम करें. अभ्यास हो जाने पर तेज गति से करने लगें.इस व्यायाम से 2-3 माह में ही आप अपने भीतर बड़ा परिवर्तन महसूस करने लगेंगी. इसे करते रहने से आपके श्रोणिगुहा के अंगों को समुचित आवलंबन मिलता रहेगा.

वक्षस्थल को दें सही आकार


आयुर्वेदिक उपचार : अरंडी के पत्ते, घीग्वार (ग्वारपाठा) की जड़, इन्द्रायन की जड़, गोरखमुंडी एक छोटी कटोरी, सब 50-50 ग्राम। पीपल वृक्ष की अन्तरछाल, केले का पंचांग (फूल, पत्ते, तना, फल व जड़) , सहिजन के पत्ते, अनार की जड़ और अनार के छिलके, खम्भारी की अन्तरछाल, कूठ और कनेर की जड़, सब 10-10 ग्राम। सरसों व तिल का तेल 250-250 मिलीग्राम तथा शुद्ध कपूर 15 ग्राम। यह सभी आयुर्वेद औषधि की दुकान पर मिल जाएगा।

निर्माण विधि : सब द्रव्यों को मोटा-मोटा कूट-पीसकर 5 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी सवा लीटर बचे तब उतार लें। इसमें सरसों व तिल का तेल डालकर फिर से आग पर रखकर उबालें। जब पानी जल जाए और सिर्फ तेल बचे, तब उतारकर ठंडा कर लें, इसमें शुद्ध कपूर मिलाकर अच्छी तरह मिला लें। बस दवा तैयार है। असामान्य व अविकसित स्तन

प्रयोग विधि : इस तेल को नहाने से आधा घंटा पूर्व और रात को सोते समय स्तनों पर लगाकर हलके-हलके मालिश करें।

लाभ : इस तेल के नियमित प्रयोग से 2-3 माह में स्तनों का उचित विकास हो जाता है और वे पुष्ट और सुडौल हो जाते हैं। ऐसी युवतियों को तंग चोली नहीं पहननी चाहिए और सोते समय चोली पहनकर नहीं सोना चाहिए। इस तेल का प्रयोग लाभ न होने तक करना चाहिए।

* फिटकरी 20 ग्राम, गैलिक एसिड 30 ग्राम, एसिड आफ लेड 30 ग्राम, तीनों को थोड़े से पानी में घोलकर स्तनों पर लेप करें और एक घंटे बाद शीतल जल से धो डालें। लगातार एक माह तक यदि यह प्रयोग किया गया तो 45 वर्ष की नारी के स्तन भी नवयौवना के स्तनों के समान पुष्ट हो जाएंगे।

* गम्भारी की छाल 100 ग्राम व अनार के छिलके सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। दोनों चूर्ण 1-1 चम्मच लेकर जैतून के इतने तेल में मिलाएं कि लेप गाढ़ा बन जाए। इस लेप को स्तनों पर लगाकर अंगुलियों से हलकी-हलकी मालिश करें। आधा घंटे बाद कुनकुने गर्म पानी से धो डालें। जो भी परिणाम मिले, उसकी सूचना कृपया हमें जरूर दें।

* छोटी कटेरी नामक वनस्पति की जड़ व अनार की जड़ को पानी के साथ घिसकर गाढ़ा लेप करें। इस लेप को स्तनों पर लगाने से कुछ दिनों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है।

* बरगद के पेड़ की जटा के बारीक नरम रेशों को पीसकर स्त्रियां अपने स्तनों पर लेप करें तो स्तनों का ढीलापन दूर होता है और कठोरता आती है।

* इन्ही के साथ सर्वोत्तम यह भी रहेगा कि रात को सोने से पहले किसी भी तेल की 10 मिनट तक मालिश करें। या तो स्वयं करें या अपने पति से कराएं, मालिश के दिनों में गेप न करें, रेगुलर करें व दो माह बाद चमत्कार देखें। स्तनों की मालिश हमेशा नीचे से ऊपर ही करें।

* स्तनों की शिथिलता दूर करने के लिए एरण्ड के पत्तों को सिरके में पीसकर स्तनों पर गाढ़ा लेप करने से कुछ ही दिनों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है। कुछ व्यायाम भी हैं, जो वक्षस्थल के सौन्दर्य और आकार को बनाए रखते हैं।


001   असगंध और शतावरी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के खाकर ऊपर से दूध में मिश्री को मिलाकर पीने से स्तन आकर्षक हो जाते हैं

002   कमलगट्टे की गिरी यानी बीच के भाग को पीसकर पाउडर बनाकर दही के साथ मिलाकर प्रतिदिन 1 खुराक के रूप में सेवन करने से स्तन आकार में सुडौल हो जाते हैं।

003   जैतून के तेल की स्तनों पर धीरे-धीरे मालिश करने से करने से स्तनों की सुन्दरता बढ़ जाती है।

घरेलु उपचार

                                     
दांतों की मजबूती के लिये

यदि मल-मूत्र त्याग के समय रोजाना उपर-नीचे के दांत को भींचकर बैठा जाये तो दांत जीवन नहीं हिलते। इससे दांत मजबूत होते है और जल्दी नहीं गिरते। लकवा मारने का डर भी नहीं रहता।
विशेष - स्त्री,पुरुष बालक सभी को जब भी वे शौच तथा करने जायें ऐसी आदत अवश्य डालनी चाहिये। इससे दांतों का पायरिया,खून या पीप आना, दांतों का हिलना बहुत शीघ्र बन्द हो जाता है। हिलते दांत आश्चर्यजनक रूप से दृढ़ हो जाते हैं


कान के रोग से बचाव

सप्ताह में एक बार भोजने करने से पहले कान में हल्का सुहाता गर्म सरसों का तेल की दो-चार बूंद डालकर खाना खायें। कान में कभी तकलीफ नहीं होगी। कानों में तेल डालने से अन्दर की मैल उगलकर बाहर आ जाती है। यदि सप्ताह- पन्द्रह दिन एक बार दो-चार बून्द तेल डाला जाए तो बहरेपन का भय नहीं रहता, दांत भी मजबूत होगें ।
विशेष - कोई व्यक्ति यदि प्रतिदिन कानों गुनगुना सरसों का तेल डाल कर कुछ विश्राम करता है तो उसके शरीर में वृध्दावस्था के लक्षण शीघ्र प्रतीत नहीं होते। गर्दन के अकड़ जाने का रोग उत्पन्न नहीं होता और न ही बहरापन होता है। नेत्र की ज्योति बढ़्ती है और आँखें नहीं दुखती।

सिर के रोगों से बचने के लिये

नहाने से पहले पाँच मिनिट तक मस्तष्क के मध्य तालुवे पर किसी श्रेष्ठ तेल (नारियल, सरसों, तिल्ली, ब्राह्मी-आवलाँ,भृंगराज) की मालिश किजिए। इससे स्मरण शक्ति और बुध्दि का विकास होगा और बाल काले चमकीले और मुलायम होगें।
विशेष - रात को सोने से पहले कान के पीछे की नाड़ियाँ, गर्दन के पीछे की नाड़ियाँ और सिर के पिछले भाग पर तेल की नर्मी से मालिश करने से चिंता, तनाव और मानसिक परेशानी के कारण उत्पन्न होने वाला सिर के पिछले भाग और गर्दन में दर्द तथा भारीपन मिटता है ।

गैस टृबल

काली हरड़ को पानी से धोकर किसी साफ कपड़े से पौंछ कर रख लें। दोनो समय भोजन के पश्चात एक हरड़ को मुहँ में रखकर चूस लिया करें। लगभग एक घंटे में हरड़ में घुल जाती है। यह गैस और कब्ज के लिये सर्वश्रेष्ठ दवा है ।
विशेष - इससे गैस की शिकायत दूर होती है शौच खुलकर आती है भूख खूब लगने लगती है।पाचन शक्ति बढती है। जिगर के रोग और अंतडिओं की वायु नष्ट होती है रक्त शुध्द होता है । चर्म रोग नहीं होता है  सिरगेट- बीड़ी का अभ्यास छूट जाता है ।

घुटने दुखना 

सवेरे मैथी दाना के बारीक चुर्ण की एक चम्मच की मात्रा से पानी के साथ फंक्की लगाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है। विशेषकर बुढ़ापे में घुटने नहीं दुखते।
या सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने मात्र से ही घुटनों का दर्द समाप्त हो जाता है।

झुर्रियाँ कुछ उपाय 

आधा चम्मच दुध की ठंडी मलाई में नींबु के रस की चार पाँच बूंदें मिलाकर झुर्रियाँ पर सोते समय अच्छी तरह मलें। पहले गुनगुने पानी से चेहरा अच्छी मलें। फिर गुनगुने पानी से चेहरा अच्छी तरह धोएं और बाद में खुरदरे तौलिए से रगड-पौंछकर सुखा लें। इसके बाद मलाई दोनों हथेलियों से तब तक मलते रहें जब तक कि मलाई घुलकर त्वचा में रम न जाए। बीस मिनट या आधा घण्टे बाद स्नान कर लें या पानी से धो डालें परन्तु साबुन का प्रयोग न करें। नित्य १५ - २० दिन तक नियमित प्रयोग से झुर्रियाँ दुर होती हैं तथा चेहरे के काले दाग मिट जाते हैं।
या पके हुए पपीते का एक टुकडा काटकर चेहरे पर घिसें या गूदा मसलकर चेहरे पर लगाएं। कुछ देर बाद स्नान कर लें। कुछ दिन लगातार ऐसा करने से चेहरे की झुर्रियाँ, धब्बे, दूर होते हैं, मैल नष्ट होता है। व मुहाँसे मिटकर चेहरे की रंगत निखरती है।
या 'ई' और 'ओ' बोलते हुए एक बार चेहरे को फैलाएं और फिर सिकोडें। दुसरे शब्दों मे 'ई' के उच्चारण के साथ ऐसी मुद्रा बनाएँ मानों कि आप मुस्कुराने जा रहे है। कुछ क्षण इसी मुद्रा में रहने के बाद होठों को आगे की तरफ बढाते हुए इस प्रकार मुद्रा बनाएँ मानों कि आप सीटी बजाना चाह रहे हैं। इससे गालों का अच्छा व्यायाम होता है जिससे गालों की पुष्टि होती है और झुर्रियाँ से बचाव। यह क्रिया एक बार में १५-२० बार करें और दिन में तीन बार करें।
या मुँह से फूँक मारते हुए गाल फुलाएं व पेट पिचकाएँ फिर नाक से सांस खींचें। इस प्रकार १५-२० बार करें और दिन में तीन बार करें। गाल पुष्ट होंगे।
या चेहरे में आँखों के छोर की रेखाएँ (झुर्रियाँ) मिटाने के लिए खीरे को गोलाई में टुकडे काटकर आँखों के नीचे-ऊपर लगा दें। माथे पर कुछ लम्बे टुंकडे लगाकर तनाव-रहित होकर कुछ देर लेटना चाहिए। इस क्रिया को प्रतिदिन एक बार करने से लगभग दो सप्ताह में ये लकीरें मिट जाती है।
या त्वचा की झुर्रियाँ मिटाने के लिए आधा गिलास गाजर का रस नित्य शाम चार बजे दो तीन सप्ताह लें।
या चेहरे पर झुर्रियों हों ही न ऐसा करने के लिए अंकुरित चने व मूंग को सुबह व शाम खाएँ। इनमें विद्यमान विटामिन 'इ' झुर्रियाँ मिटाने और युवा बनाये रखने में विशेष सहायक होता है

बाल तोड़ 

50ग्राम नीम के पत्तों पीस कर इसकी एक टिकिया सी बना लें । इसे पुल्टिस के समान बाल तोड़ में लगाने से वह शीघ्र अच्छा हो जाता है

एनीमिया
पांच ग्राम शहद और दस ग्राम गाय के मक्खन में तीन बूंद अमृतधारा मिलाकर प्रतिदिन खाने से शरीर की कमजोरी दूर होने के साथ ही नई ऊर्चा का संचार होता है।
सहजन की पत्तियों की सब्जी बनाकर खाने से लोहे की कमी से होने वाली अरक्तता दूर होती है।

गले के रोग

गले की खराश मिटाने के लिए सौ ग्राम पानी में दस ग्राम अनार के छिलके उबालें, इसमें दो लौंग भी पीस कर डाल दें। जब पानी आधा रह जाये तब 25 ग्राम फिटकरी कर गुनगुने पानी से गरारा करना चाहिए।
भोजन के बाद चुटकी भर काली मिर्च को एक चम्मच घी में मिलाकर खाने से बैठा हुआ गला और रुकी हुई आवाज साफ हो जाती है।

सिर दर्द

माथे पर दालचीनी को पीसकर लेप करने से सिर दर्द गायब हो जाता है।
यदि आप नारियल का पानी नाक में टपकायें, तो कुछ ही क्षणों में आधा सीसी का दर्द दूर हो जाता है।

कब्ज

सुबह-शाम एक-एक पके केले को पानी में उबालकर ठंडा कर सेवन करने से कब्ज से राहत मिलती है। गन्ने के रस में थोड़ा नीबू रस डालकर गुनगुना गर्म करके एक गिलास सुबह पीने से कब्ज दूर होती है।

बदहजमी

बदहजमी या आंतों में मल सूखने पर पेट में मरोड़ होता है। पेट में मरोड़ से राहत पाने के लिए हींग, सोंठ और काली मिर्च तीनों को बराबर मात्रा में बारीक पीस कर दो ग्राम चूर्ण भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लेने से फायदा होता है।
हल्का भोजन करने के बाद काला नमक 5 ग्राम गर्म पानी में मिलाक र पीने से राहत मिलेगी।

गठिया या आमवात

गठिया रोग में लहसुन खाने से लाभ होता है।
100 ग्राम प्याज के रस में 100 ग्राम सरसों के तेल को मिलाकर एक शीशी में रख कर नियमित मालिश करने से जोड़ों के दर्द में विशेष लाभ होता है।



सर दर्द से राहत के लिए 

१. तेज़ पत्ती की काली चाय में निम्बू का रस निचोड़ कर पीने से सर दर्द में अत्यधिक लाभ होता है.

२ .नारियल पानी में या चावल धुले पानी में सौंठ पावडर का लेप बनाकर उसे सर पर लेप करने भी सर दर्द में आराम पहुंचेगा.

३. सफ़ेद चन्दन पावडर को चावल धुले पानी में घिसकर उसका लेप लगाने से भी फायेदा होगा.

४. सफ़ेद सूती का कपडा पानी में भिगोकर माथे पर रखने से भी आराम मिलता है.

५. लहसुन पानी में पीसकर उसका लेप भी सर दर्द में आरामदायक होता है.

६. लाल तुलसी के पत्तों को कुचल कर उसका रस दिन में माथे पर २ , ३ बार लगाने से भी दर्द में राहत देगा.

७. चावल धुले पानी में जायेफल घिसकर उसका लेप लगाने से भी सर दर्द में आराम देगा.

८. हरा धनिया कुचलकर उसका लेप लगाने से भी बहुत आराम मिलेगा.

९ .सफ़ेद  सूती कपडे को सिरके में भिगोकर माथे पर रखने से भी दर्द में राहत मिलेगी.


गैस व् बदहजमी दूर करने के लिए

१. भोजन हमेशा समय पर करें.

२. प्रतिदिन सुबह देसी शहद में निम्बू रस मिलाकर चाट लें.

३. हींग, लहसुन, चद गुप्पा ये तीनो बूटियाँ पीसकर गोली बनाकर छाँव में सुखा लें, व् प्रतिदिन एक गोली खाएं.

४. भोजन के समय सादे पानी के बजाये अजवायन का उबला पानी प्रयोग करें.

५. लहसुन, जीरा १० ग्राम घी में भुनकर भोजन से पहले खाएं.

६. सौंठ पावडर शहद ये गर्म पानी से खाएं.

७. लौंग का उबला पानी रोजाना पियें.

८. जीरा, सौंफ, अजवायन इनको सुखाकर पावडर बना लें,शहद के साथ भोजन से पहले प्रयोग करें.